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May 1985

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धैर्य यस्य पिता क्षमा च जननी शान्तिश्चिरं गेहिनी सत्यं सूनुस्यं दया च भगिनी भ्राता मनः संयमः। शय्या भूमितलं दिशोऽपि वसनं ज्ञानमृतं भोजन मेते यस्य कुटुम्बिनो वद सखे कस्माद्भयं जायते॥ -बाण भट्ट

जिसका पिता धैर्य हो, क्षमा जिसकी माता हो, शान्ति जिसकी गृहिणी हो, सत्य जिसका पुत्र हो, दया बहन हो, संयम भाई हो, भूमितल शय्या हो, दिशाऐं वस्त्र हों, अमृतमय ज्ञान ही भोजन हो- इस प्रकार के परिवार से युक्त व्यक्ति के लिए हे मित्र! इस संसार में किससे भय होता है? अर्थात् किसी से नहीं।

*समाप्त*


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