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May 1985

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षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्याभूतिमिच्छिता। निद्रा तंद्रा भयं लज्जा ह्यालस्यं दीर्घसूत्रता॥

अर्थात्- इस संसार में ऐश्वर्य की इच्छा करने वाले पुरुष को निद्रा, तंद्रा, भय, लज्जा, आलस्य और दीर्घसूत्रता (थोड़े समय में होने वाले कार्य को बहुत समय में करना) ये छः दोषों का त्याग कर देना चाहिए।


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