स नायम फलो धर्मः ना धर्मोऽफलवानपि। दृश्यन्तेऽपि विद्यानां फलन्ति तपसां तथा॥ (वन पर्व 31। 31 )
“धर्म निष्फल नहीं होता। अधर्म भी अपना फल दिये बिना नहीं रहता। विद्या और तपस्या के भी फल देखे जाते हैं।