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May 1985

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स नायम फलो धर्मः ना धर्मोऽफलवानपि। दृश्यन्तेऽपि विद्यानां फलन्ति तपसां तथा॥ (वन पर्व 31। 31 )

“धर्म निष्फल नहीं होता। अधर्म भी अपना फल दिये बिना नहीं रहता। विद्या और तपस्या के भी फल देखे जाते हैं।


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