मृतात्माओं का जीवित मनुष्य से सम्पर्क

May 1985

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समझा जाता है कि मृतात्माएँ दुष्ट ही होती हैं और वे दूसरों को कष्ट ही पहुँचाती हैं। जिनसे उनका संपर्क होता है उन्हें त्रास सहना एवं भय के बीच गुजरना पड़ता है। पर यह बात आंशिक रूप से ही रही है। जिनका जीवन दुष्ट प्रयोजनों में बीता है तथा जिन्हें सदा उद्वेग-ग्रस्त ही रहना पड़ा है। वे ही अपनी खीज उतारने या बदला चुकाने के लिए भयावह रूप से प्रकट होते हैं। निकृष्ट स्तर के लोग ही मरणोपरान्त प्रेत पिशाच की योनि में जाते और कारणवश अथवा बिना कारण ही परिचितों या अपरिचितों को सताते देखे गये हैं।

किन्तु यह बात सभी मृतात्माओं के सम्बन्ध में नहीं कही जा सकती। उनमें से कितनी ही ऐसी होती हैं जिनका जीवन सन्मार्ग पर चलते हुए सत्कार्य करते हुए बीता है। वे अपनों या परायों की यथा सम्भव सहायता ही करते रहते हैं। समय-समय पर ऐसी जानकारियाँ देते रहते हैं जिससे उसका हित साधन हो। उन्हें दूसरों की सेवा सहायता करते हुए आंतरिक प्रसन्नता होती है। इसलिए वे बिना परिचय या आमन्त्रण के ही इस प्रकार के अवसर ढूंढ़ते रहते हैं उन्हें प्रसन्नता हो एवं लाभ पहुँचे।

डा. लेण्ड ने अपनी एक पुस्तक “उन्नीसवीं शताब्दी” में एक माकरी सियाँस अर्थात् प्रेतात्माओं की विचार गोष्ठी का उल्लेख किया है। उसका विवरण कुछ आत्मविद्या विशारदों से मिला, इनसे ऐतिहासिक घटनाओं के पीछे मृतात्माओं के योगदान का उल्लेख था। तथा उनके ऐसे सामयिक निर्णयों का भी विवरण था जिसमें उनने अपने-अपने जिम्मे पीड़ित एवं पिछड़े क्षेत्र बाँट लिये थे वहाँ जाकर उपयोगी सहायताऐं की थीं।

इस संदर्भ में अमेरिका से एक पत्रिका प्रकाशित हुई “साइन्स एण्ड इन्वेन्शन” उसमें ऐसी घटनाओं का विवरण छपता था जिसमें मृतकों के साथ संपर्क साधने पर जीवित लोगों को जो हानि लाभ हुआ उसका विवरण रहता था। पत्रिका ने सच्ची एवं सप्रमाण घटनाओं का विवरण भेजने वालों को 31 हजार डालर तक के पुरस्कार इस शर्त पर दिये थे कि उनकी बताई बातें प्रत्यक्ष जाँच-पड़ताल में सही सिद्ध होती हैं।

इस निमित्त एक जाँच समिति भी बनाई गई जिसके अध्यक्ष प्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं दार्शनिक जोसेफ किमिंजर थे।

किमिंजर ने प्रेतात्मा विद्या के जानकारों का एक सम्मेलन बुलाया। उन लोगों के आह्वान पर मनुष्यों से संपर्क में दिलचस्पी रखने वाली सेल्समेशन नामक एक आत्मा आई। उसने उपस्थित लोगों में से कितनों को ही चकित करने वाले परामर्श दिये। एक महिला से उनने कहा- तुम्हारी बीमारी अब बढ़ती ही जायेगी, उसका जल्दी आपरेशन करा लेना चाहिए। एक दूसरी महिला से उनने कहा- अपनी चाँदी अभी मत बेचो कुछ दिन ठहरने में तुम्हें ज्यादा पैसा मिलेगा। इसके अतिरिक्त भी उनने कितने ही उपस्थित लोगों को ऐसी बातें बताई जिनके सम्बन्ध में और किसी को कोई जानकारी न थी।

ब्रिटेन के ख्यातिनामा डाक्टर एस्टीली रॉबर्टसन की मृतात्मा से उस गोष्ठी ने संपर्क साधने में सफलता पाई। वह मध्याह्न काल एक मीडियम के माध्यम में आती थी और बिना पूछे भी आगन्तुक रोगियों के रोगों की बात बताते हुए उपचार भी सुझाती थी। इन उपचारों के आधार पर अनेकों लोगों ने अपनी कष्टसाध्य व्यथाओं से छुटकारा पाया।

थामस विलसन नामक एक मृतात्मा की कई पुस्तकें अधूरी रह गई थीं। उन्हें पूरा कराने के लिए उन्होंने टी.पी. जेन्म नामक एक साधारण शिक्षित व्यक्ति से अनुरोध किया। इसके बाद अधूरी पुस्तकों का लेखन कार्य मृतात्मा के आवेश में लिखा जाना आरम्भ हुआ। पुस्तकें पूरी हो गईं तो उनके तारतम्य और स्तर में राई-रत्ती भी अन्तर नहीं पाया गया। उन पुस्तकों की अच्छी समीक्षाऐं हुईं।

ठीक इसी प्रकार एक प्रख्यात विद्वान कुरेन ने एक अति स्वल्प शिक्षित महिला के माध्यम से ऐसी कविताऐं तथा दार्शनिक रचनाऐं लिखवाईं जिन्हें पढ़कर लोग आश्चर्यचकित रह गये।

एक अत्यन्त हैरान व्यक्ति के पूर्वजों की वसीयत एवं सम्पत्ति की जानकारी एक मृतात्मा ने दी जो उन पूर्वजों के संपर्क में थी। हैरान व्यक्ति को वह सम्पत्ति मिल गई और उसके बुरे दिल टल गये।

प्रसिद्ध लेखक जार्ज वर्नार्डशा का मरने से कुछ दिन पूर्व पैट्रेशिया नामक कनाडियन युवती से प्रेम हो गया। उनसे उसे एक बच्चा भी हुआ। किन्तु विवाह कानूनी लिखा पढ़ी में नहीं आ पाया। वह महिला जार्ज के दिये हुए आभूषणों को उनकी निशानी बताती थी। पुत्र की शक्ल जार्ज से बिल्कुल मिलती थी।

पेट्रेशिया ने अपने मकान में एक कमरा जार्ज वर्नार्डशा की आत्मा के लिए सुरक्षित रखा था। जब आत्मा आयी तो उनकी धुंधली शक्ल और धीमी आवाज कितने ही लोगों ने सुनी। जार्ज ने पेट्रेशिया की कलम से ऐसी साहित्य रचनाएँ कराईं जो उन्हीं के प्रख्यात साहित्य की टक्कर की थीं।

कैलीफोर्निया के एक इंजीनियर राबर्ट जैसी ने एक प्रेतात्मा के संपर्क में अनेकों मशीनों के नये डिजाइन बनाये साथ ही उनके आर्चीटेक्ट का काम शुरू कर दिया वे ऐसे नक्शे बनाते थे जिसे देखकर उस विषय के प्रवीण लोग भी आश्चर्यचकित रह जाते।

फ्राँस की एक महिला ऐनी को एक मृतात्मा ने संगीत और नृत्य का ऐसा अभ्यास कराया कि वह इन कलाओं में अपने समय की अतिशय प्रवीण कलाकार मानी जाती थी। इससे पहले वह कपड़े सीने का धन्धा करती थी। गायन वादन में उसकी पूर्व रुचि तनिक भी नहीं थी। पर एक रात स्वप्न में उस आत्मा ने वह कलाएँ सिखाने का वचन दिया। नियत समय पर उसे आवेश आता और वह बिना किसी अध्यापक की सहायता के अपना अभ्यास आरम्भ कर देती। उसके पास बताने वाला या गलती सुधारने वाला कोई भी न होता। जो कुछ उसने सीखा अपने बन्द कमरे में ही सीखा। नये बाजे वह उस आत्मा के ही कहने पर खरीदती। नई ध्वनियाँ उसी के मार्गदर्शन में निकालती। कुछ समय में वह अपने कार्य में अद्वितीय समझी जाने लगी। वह जिन मंचों पर जाती वहाँ से उसे अच्छी आमदनी होती। कुछ ही वर्षों के अंदर वह दर्जी न रहकर प्रख्यात कलाकार बन गई।

एक आस्ट्रिया निवासी दुकानदार पर किसी हिब्रू भाषा के प्रवीण पादरी की आत्मा का आवेश आता था। वह साधारण फ्रेंच बोल-चाल सकती थी। धार्मिक विषयों में उसे कुछ भी ज्ञान न था। पर जब हिब्रू भाषा के विद्वानों की गोष्ठी में जाता तो इस प्रकार प्रवचन कर्ता मानों ईसाई धर्म के प्राचीन ग्रन्थ उसे कण्ठाग्र हों।

मृतात्माओं से सहयोग साधने का भी एक विज्ञान है। जो उसके अभ्यस्त हो जाते हैं। साधना कर लेते हैं वे मृतात्माओं से उपयोगी वार्त्तालाप कर सकते हैं और ऐसे परामर्श एवं सहयोग प्राप्त कर सकते हैं जो आकस्मिक होते हैं और चमत्कारी कहे जाते हैं। कभी-कभी ऐसे सुयोग बिना साधना किये भी किन्हीं कृपालु आत्माओं के सहयोग से मिल जाते हैं।


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