शरीर से बाहर भी आत्माएँ

May 1985

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देखने में प्रतीत होता है कि जीवात्मा एक शरीर के दायरे में आबद्ध है किंतु ऐसा भी देखा गया है कि वह इस दायरे को छलाँग कर दूसरे शरीर में प्रवेश कर सकता है। मृतक आत्माओं द्वारा प्रस्तुत किये गये भूतोन्माद की घटनाएँ तो अनेकबार देखने में आती हैं। समाधान कर सकने पर उनसे पीछा भी छुड़ाया जा सकता है। किंतु कभी-कभी जीवित अवस्था में भी ऐसी परकाया प्रवेश की घटनाएँ घटित होती देखी गई हैं। आवश्यक नहीं कि इस प्रकार के प्रत्यावर्तनों का परिचय सर्वसाधारण को मिले ही। जब इस प्रकार के आवेशग्रस्त व्यक्ति अपने साधारण योग्यता से भिन्न तरह के काम करने लगते हैं तब प्रतीत होता है कि इस पर कोई अतिरिक्त आवेश है और उसके प्रभाव से प्रभावित होकर वह काम कर रहा है जो सामान्य स्थिति में नहीं कर पाता।

स्वामी विवेकानन्द जब सर्व धर्म सम्मेलन में भारत के प्रतिनिधि बनकर अमेरिका गये, तब उन्हें अपना विषय इतने विज्ञजनों के सम्मुख प्रस्तुत करने में बड़ी झिझक लग रही थी, पर उनने अनुभव किया कि स्वामी रामकृष्ण परमहंस की आत्मा उनके ऊपर इस प्रकार उतरी जैसे शिव की जटाओं में गंगा उतरी थी। मेरे ध्यान में से एक क्षण के लिए भी परमहंस जी का ध्यान नहीं हटा। फलतः न केवल धर्म सम्मेलन में वरन् अन्यत्र भी ऐसे भाषण देने में समर्थ हुआ जिससे उस देश की सुशिक्षित जनता आश्चर्यचकित रह गई।

स्वामी रामकृष्ण परमहंस के मरणोपरान्त उनकी धर्म पत्नी शारदामणि उनके स्थान पर प्रवचन करती थी। माताजी की जीवनी लिखने वाले स्वामी गम्भीरानन्द ने लिखा है कि माताजी के रूप में दर्शकों को साक्षात् परमहंस जी का दर्शन होता था। साधारण समय में वे पूर्ववत् सामान्य स्थिति में रहती थी पर प्रवचन, सत्संग या शंका समाधान में उनका कथन एवं भाव मुद्रा साक्षात् परमहंस जी जैसी हो जाती थी।

आद्य शंकराचार्य का शास्त्रार्थ मंडन मिश्र से हुआ। इसमें मंडन मिश्र पराजित हुए तो उनकी पत्नी भारती ने कहा अभी आधा शरीर बाकी है। आपको मुझसे भी शास्त्रार्थ करना होगा। भारती ने कामशास्त्र सम्बन्धी प्रश्न पूछे जिन्हें शंकराचार्य जानते न थे उनके उत्तर देने के लिए छः महीने का समय मांगा। वे एक राजा के मृतक शरीर में प्रवेश कर गये। राजा जी उठा। उन्होंने उस शरीर में काम कथा की जानकारी प्राप्त की और अपने सुरक्षित रखे गये शरीर में लौट आये। तब उन्होंने भारती के प्रश्नों का समाधान कर दिया। यह प्रयोग परकाया प्रवेश के नाम से जाना गया।

सन् 1967 के अरब इजराइल युद्ध में एक इजराइली सैनिक घायल अवस्था में अस्पताल में पड़ा था। वह अचेतन अवस्था में कुछ बड़बड़ाता रहता था। तलाश किया गया तो मालूम हुआ कि वह चीनी भाषा बोलता है जो उसने कभी भी नहीं पड़ी थी। अच्छे होने पर पता चला कि उसी लड़ाई में मरे विक्टर शैरान की आत्मा ने उसके शरीर में प्रवेश कर लिया था। शैरान चीनी भाषा जानता था। पीछे भी वह आत्मा उसी घायल शरीर में बनी रही। दोनों आत्माएँ मिल-बाँटकर एक ही शरीर से काम चला लेती थीं।

रूस के मनोविज्ञानी लियोनिद वासिल मेच में अपने प्रयोग में आई एक ऐसी महिला का उल्लेख किया है जो अजरवेजान की निवासी तथा बिलकुल अशिक्षित थीं। उस पर शाम को 7 से 9 बजे तक ऐसा आवेश आता था कि दो घण्टे लैटिन भाषा में ऐसे प्रवचन करती थी जैसे कोई उच्च शिक्षित ही कर सकता है।

भारत के पिछड़े समाज में अक्सर भूतोन्माद आते हैं। तब उन्हें ढोंग समझा जाता है, किन्तु अमेरिका फिल्म उद्योग में संलग्न कलाकारों को कोई ऐसा ढोंगी नहीं कह सकता। उनमें से कइयों को मृतात्मा का पाला पड़ा है और वे अपने अनुभव में आई प्रत्यक्ष घटनाओं की सचाई पर पूरा विश्वास करते हैं। सि अल्ले ड्राइव में मकान नं0 10050 में एक महिला शैरोटेड की हत्या हुई थी। उसकी सिसकियों की आवाज अभी भी पड़ौसियों को सुनाई देती है। उसके साथ और भी कई व्यक्ति मारे गये थे। उनकी आत्माएँ भी उसी घर में रहती हैं। किसी और आदमी को उस घर में आने और रहने नहीं देती। उस मकान की उपरोक्त दुर्घटना के बहुत दिन बाद अभिनेत्री हार्ली तथा उसके पति पालवर्च ने मकान किराये पर लिया, एक सप्ताह के भीतर ही वे पति पत्नी उस मकान में मरे पाये गये।

ऐसी ही घटनाएँ होलीवुड क्षेत्र में और भी कई घटित हुई है। आक्सफोर्ड के मकान नं0 921 में रीटा हैर्वर्थ को अपने परिवार के साथ रहने का अवसर मिला। उसने उस घर में प्रेत नाचते देखे और तुरन्त घर खाली कर दिया।

वेलेटिनों ने अपने लिए सन् 1925 में एक शानदार मकान खरीदा। नाम रखा उसका- फालकान लेसर। इस मकान में उसे विचित्र अनुभव होते रहे कभी स्वप्न में कभी जागृत में। हर बार उस मकान को खाली करके चले जाने के लिए कहा जाता रहा है पर उससे इतना सुन्दर मकान छोड़ते न बना। अन्ततः एक साल के भीतर ही उसकी मृत्यु हो गई।

एक दूसरे फिल्म कलाकार का भी यही हाल हुआ। उसे उसकी पत्नी ने छोड़ दिया था। इस दुःख से बचने के लिए उसने एक छोटा किंतु प्राकृतिक दृश्यों से भरा-पूरा सुहावना मकान लिया। सोचा वह उसमें रहकर शाँति पा सकेगा। किंतु हुआ ठीक उल्टा। उस घर में पहले जिन लोगों की मृत्यु हो चुकी थी वे प्रेत बनकर वहाँ अड्डा जमाये हुए थे। वे नहीं चाहते थे कि कोई वहाँ रहे और उनकी स्वच्छन्दता में खलल डाले। रुडोल्फ उसे छोड़ना नहीं चाहता था। पहले उन्हें उसमें होते रहने वाले उपद्रवों को अपने मन का बहम समझा। पीछे प्रेत विद्या समझने वालों को बुलाया पर उस मकान में डरावने कृत्य होते ही रहे। एक रात वह अच्छा भला सोया था। दूसरे दिन बिस्तर पर मरा हुआ पड़ा मिला।

जेने मैंस फील्ड जिस मकान में रहने गया, उसमें वीप्लो द्वारा गाये बजाये जाने वाले संगीत सुनाई पड़ता रहा। पहले उसने समझा, पास-पड़ौस में कोई गाता बजाता होगा। पर उस सम्बन्ध में बहुत खोज करने पर भी कुछ पता न चला। प्रतीत हुआ कि वह आवाज उसी मकान की छत में से आती है। जब छत को किसी लकड़ी से ठकठका दिया जाता तो आवाजें बन्द हो जातीं किंतु इसके बाद वे फिर पहले की तरह ही चालू हो जातीं। अपना भ्रम और भय उनने दूसरे मित्रों से कहा। वे भी उसमें एक-एक दो-दो दिन ठहरे और उनने भी बात को सही पाया। अन्ततः उन्हें वह मकान खाली करना पड़ा। इससे पहले भी और कोई रहने वाले इसी प्रकार डर कर उस मकान को खाली कर चुके थे।

फिल्म क्षेत्र में काम करने वाले हंघरडिक को भी ऐसे ही एक मकान से पाला पड़ा। उसमें रात को जो अदृश्य किन्तु डरावनी घटनाएँ घटित होती थीं, उनसे उनका पूरा परिवार भयभीत हो गया और जल्दी ही दूसरा मकान तलाश करके उसमें चला गया।

इडा लूपिनो के टेलीफोन की घण्टी रात्रि में कई-कई बार बजती और कोई कहता, यह मकान तुम्हें खाली करना पड़ेगा। अच्छा हो तो बिना नुकसान उठाये यहाँ से चले जाओ। पहले उसने समझा कि उनका कोई शत्रु इस प्रकार हैरान कर रहा है। उसने पुलिस की सहायता ली और टेलीफोन विभाग वालों से जाँच कराई कि यह कौन है जो रात भर ऐसी धमकियाँ देता है। पर इस खोजबीन से कोई निष्कर्ष न निकला। जब नींद हराम हो गई और घण्टी बजना बन्द न हुआ तो उसने वह मकान खाली कर दिया।

यह घटनाएँ उन होलीबुड वालों सम्बन्धित है जो शानदार मकानों में नौकर-चाकरों के साथ रहते हैं। उन्हें अन्धविश्वासी, शक्की या डरपोक स्वभाव का भी नहीं कहा जा सकता। उनने अपने अनुभव जिन्हें भी सुनाये, उनने यही प्रकट किया कि उनके साथ जो बीती उसमें कोई बहम नहीं वरन् प्रेतात्माओं की ही करतूत थी।

यह घटनाएँ बताती हैं कि आत्मा शरीर छूट जाने के बाद भी बनी रहती है एवं जीवित स्थिति में भी दूसरे शरीरों पर अधिकार जमाती रहती है।


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