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February 1984

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सन्त ज्ञानेश्वर ने सज्जन की पानी के साथ तुलना की है। वह इतना मृदु होता है कि आँखों में रहते या टपकने पर भी कष्ट नहीं देता, किसी पर प्रहार नहीं करता। अपनी नम्रता की शक्ति से जिस पत्थर पर गिरता है उसे भी घिसने और चिकना बनाने में सफल होता है।


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