जीवन की पवित्रता इस तरह की सर्वोपरि कला है। कला कौशल वह है। जो मनुष्य को सहज ऊँचा उठाये। जिससे प्रतिमा की प्रेरणा है। इसे तो कला के नाम पर नंगा नाच नचाने वाले की भर्त्सना ही कहना चाहिये।
मृत्यु के 73 वर्ष बाद 6 पादरियों और 5 मेडिकल विशेषज्ञों के एक दल ने फादर बोबोला के शरीर का निरीक्षण किया और इस प्रकार के शरीर के सुरक्षित रहने को अप्राकृतिक परीक्षण की संज्ञा दी। इस तथ्य की पुष्टि के लिए बहुत से व्यक्तियों ने उस स्थान का सूक्ष्म निरीक्षण किया और पाया कि अन्य किसी व्यक्ति या जीवधारी का शरीर गोबर के इस ढेर में सुरक्षित नहीं रह सकता था। यह विलक्षणता मात्र उस शरीर के ही कारण थी, यह निष्कर्ष निकाला गया।
पैडुआ के सन्त एन्थनी (1195-1231) 12 वीं सदी में फ्रांस के गणमान्य ब्रह्मविज्ञानी एवं धर्मोपदेशक माने जाते थे। वे न केवल अपनी पवित्रता वरन् अपनी वाक्पटुता और विद्वता के लिए भी विख्यात थे। मृत्यु के एक वर्ष बाद सन् 1232 में इन्हें सन्त की पदवी प्रदान की गयी। मृत्यु के 400 वर्ष बाद कब्र से उनकी ताबूत खोदकर बाहर निकाली गई और उसे खोलकर अवलोकन करने पर भूरे रंग की धूल में सन्त एन्थनी के शरीर के अवशेष यथावत् पाये गये। उसी धूल में एक किनारे सन्त की कोमल, गुलाबी, ताजी जीवित जिह्वा भी मिली जिसे देखकर लोग अचम्भित रह गये।