अपने हृदय में उत्साह, प्रामाणिकता एवं क्रियाशीलता की ज्योति जलाए रखें। यह स्वर्णिम−ज्योति न केवल आपके अन्तस् को ही आलोकित कर प्रकाशमय बनाए रखेगी वरन् आपके परिवार व समाज को भी उज्ज्वल बना देगी! आपकी हो यह स्वर्णिम प्रकाश किरण समाज में मधुरता रस, आकर्षण, स्नेह, व्यवस्था की लय बना रखेगी। इससे प्रकाशित पथ ऐसा होगा जिस पर घोर अन्धकार में भी अन्य व्यक्ति निर्भयता से चलते रहेंगे।
-गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर
----***----