Quotation

March 1978

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मनुष्य का जीवन कलाओं को समर्पित रहे तो उसे सर्वत्र आनन्द आमोद छलकता दिखाई देता रह सकता है किन्तु यदि वह इन्हें भी स्वार्थ साधन, मिथ्या, प्रदर्शन के लिये अपनाता है तो इससे बढ़कर दुर्बुद्धि और क्या हो सकती है।

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