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March 1978

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दुनिया को दुष्टता से उतना खतरा नहीं जितना कि अच्छाई की दुर्बलता से। भलाई का साहस ही न रहना ही बहुत बड़ी बुराई है। घने बादलों से रात नहीं होती। सूरज के निस्तेज होने से ही अँधेरा फैलता है।

−अज्ञात

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