वानप्रस्थ परम्परा भारतीय संस्कृति का मेरुदण्ड है। परिष्कृत व्यक्तित्व और समाज की संरचना इसी पुण्य प्रक्रिया के आधार पर चलती रही है। हममें से प्रत्येक को ढलती आयु में परमार्थ प्रधान जीवनयापन के लिए वानप्रस्थ की तैयारी करनी चाहिए।
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