तत्त्व के विकास के लिए माता-पिता, स्त्री, पुत्र भाई-बन्धु सभी उपलब्ध होते हैं। उनका प्यार मिलता है अपना भी देना होता है। कभी कटुता का अवसर मिलता है कभी सरसता का। कटु अनुभवों से अपने साहस, धैर्य, परिश्रमशीलता, तत्परता और आत्म-विश्वास का विकास करने का अवसर प्राप्त होता है और सरसता तथा मधुर मिलन में, प्रेम, दया, वात्सल्य, उदारता, करुणा, स्नेह, सौहार्द, निष्ठा, श्रद्धा और आत्म-विश्वास के विकास की सचमुच भगवान की परिवार व्यवस्था आत्म विकास की एक रम्य वाटिका है।