भविष्य से डरिये मत (Kahani)

July 1972

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>


अतीत एक तथ्य है, वर्तमान अस्थिर है और भविष्य अज्ञात। अज्ञात से कुछ लोगों को डर लगता है- इसलिये वे वर्तमान से चिपके रहना चाहते हैं या बीते को वापस लाना चाहते हैं, किन्तु प्रकृति के नियम और काल के क्रम के विपरीत काम करने वाले सफल नहीं हो सकते।

भविष्य से डरिये मत, बल्कि उसके निर्माण में रुचि लीजिये। सँजोये सपनों को सँवारिये, कल्पना को कर्म से गढ़िये और योजना को युक्ति से पूरा कीजिए।

-दीनदयाल उपाध्याय



<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles