कृष्ण का प्रेम (Kahani)

July 1972

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वंशी से किसी ने पूछा- ‘कृष्ण तुम्हें बहुत प्यार करते हैं, चाहते हैं आखिर बात क्या है?’

वंशी का साधारण सा उत्तर था- मैँने अपने अन्दर का सारा द्रव्य निकाल कर उसे शून्य बना लिया है। अब गन्दगी के नाम पर मेरे अन्दर कुछ नहीं रहा। शायद इसी विशेषता के कारण कृष्ण का प्रेम मुझे प्राप्त है।


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