आत्मा-प्रतिष्ठा, आत्म-ज्ञान, और आत्म-दमन केवल इन्हीं तीनों से जीवन को अपार शक्ति प्राप्त होती है, केवल शक्ति ही नहीं क्योंकि शक्ति तो स्वयं ही बिना बुलाये चली आयेगी, किन्तु नियम से रहना भी आ जायेगा, और बिना भय के, जिस नियम से हम रहते हैं, वही नियम हम बनाते हैं, और चूँकि ठीक बात ही ठीक होना-अनुसरण करना बुद्धिमत्ता है-परिणाम को तुच्छ समझते हुए।
-टेनीसन