यदि तुम्हारा अहंकार चला गया है तो किसी भी धर्म पुस्तक की एक पंक्ति बाँचे बगैर व किसी भी मन्दिर में पैर रखे बगैर तुमको जहाँ बैठे हो वहीं मोक्ष प्राप्त हो जायगा।
-विवेकानन्द