VigyapanSuchana

August 2001

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अभियान साधना के साधक ध्यान दें

अपना साधनाक्रम कब से आरंभ किया है, कब तक चलाएँगे, किन-किन को साथ लेकर चल रहे हैं, व्यक्तिगत या सामूहिक किस स्तर पर कर रहे हैं, यह पत्राचार शाँतिकुँज हरिद्वार के पते पर कर लें। अपना साधना पंजीयन भी करा लें। साथ में जिस किसी के भी सदस्य हैं, पत्रिका मंडल, ‘स’ समूह, शक्तिपीठ अवश्य लिख भेजें। पते के ऊपर ‘संगठन प्रकोष्ठ साधना आँदोलन’ लिखें।

सभी पाठकों से- सुधीजनों से

‘अखण्ड ज्योति ज्ञान केंद्र’ योजना ने तीव्र गति पकड़ी है एवं ढेर सारे पत्र ‘अखण्ड ज्योति संस्थान’ पहुँच रहे हैं। विगत अंक जुलाई 2002 की ‘अपनों से अपनी बात’ में उसके संबंध में विस्तार से पढ़ा जा सकता है। इसी के साथ-साथ शाँतिकुँज ‘साहित्य विस्तार पटल’ योजना भी गतिशील हुई है। दोनों ही एक-दूसरे की पूरक योजनाएँ हैं एवं एक ही उद्देश्य-गुरुसत्ता के विचारों को जन-जन तक पहुँचाने के लिए आरंभ की गई हैं। जितने अधिक व्यक्तियों की भागीदारी होगी, उतना ही उज्ज्वल भविष्य नजदीक आता स्पष्ट दिखाई देगा। इस वर्ष नई किताबों का भी प्रकाशन किया जा रहा है, जिनमें से एक गुरुसत्ता के जीवनवृत्त पर महत्वपूर्ण घटनाओं सहित लिखी गई औपन्यासिक शैली की पुस्तक भी है। सभी दोनों ही योजनाओं में भागीदारी का ज्ञानयज्ञ में बढ़-चढ़कर भागीदारी करें। सितंबर का अखण्ड ज्योति अंक ‘याग साधना विशेषाँक ‘ होगा। अधिक-से-अधिक पाठकों तक इसे पहुँचाने का प्रयास करें।


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