सनकों और बेवकूफियों के कीर्तिमान

August 2001

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यदा-कदा इन्सान अपनी धुन में ऐसा कुछ कर बैठता है, जिसके पीछे न कोई तर्क होता है और न ही विचार। ऐसी विचारशून्यता और तर्कहीनता से प्रेरित ये कार्य ही मानव मन की सनक कहलाते हैं। ऐसी सनकें कौतुक एवं कुतूहल बढ़ाने के साथ यह सोचने के लिए भी विवश करती हैं कि मनुष्य की इस क्रिया-शक्ति के साथ उसकी चिंतन-शक्ति भी जुड़ सकी होती, तो किए गए कार्य का स्वरूप कितना उत्कृष्ट एवं लाभकारी होता। परंतु ऐसा न हो पाने के कारण ही अजीबो-गरीब सनकें सामने आती रहती हैं।

अदालत में व्यक्तियों पर मुकदमा चलता हैं,पर जानवरों पर मुकदमा चले, यह बड़े ही आश्चर्य की बात है। सन् 1459 में फ्राँस के शहर लावागू की अदालत में खाँसी भीड़ थी। लोगों के चेहरों पर आश्चर्यमिश्रित उत्सुकता थी। इस दिन अदालत में एक मादा सुअर और उसके छह नन्हें बच्चों पर मानव शिशु की हत्या का मुकदमा चलाना था। निश्चित समय पर जज साहब पधारे। मादा सुअर और उसके शिशुओं को कटघरे में खड़ा किया गया। पूरी सुनवाई के पश्चात् जज ने सुअर परिवार को हत्या का दोषी पाया और मादा सुअर को मौत की सजा सुनाई, परंतु बच्चों की कम उम्र को देखते हुए उनकी सजा माफ कर दी गई। बच्चों को छोड़ने का एक कारण यह भी था कि उनके खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिल पाए थे।

कोई माने या न माने, आज से करीब एक हजार साल पहले 29 वीं शताब्दी के अंत तक यूरोप में जानवरों पर भी मुजरिमों की तरह मुकदमे चलाए जाते थे और सख्त सजा भी मिलती थी। इन मुकदमों की खास बात यह थी कि पालतू जानवरों को अदालत दंडित करती थी, पर जंगली जानवरों को चर्च सजा देता था। जानवरों को मृत्युदंड दिए जाने का तरीका भी अनोखा था। मृत्युदंड के दोषी जानवर को अदालत के सामने पेश होने के लिए तीन बार कहा जाता था। जब जानवर तीन बार कहे जाने के पश्चात् भी अदालत में अपनी सूरत नहीं दिखाता था, तो जज महोदय उसे निर्वासित कर देते थे। इसका उल्लंघन मृत्युदंड होता था।

ऐसे ही क्रम में सन् 1521 में चूहों पर चले मुकदमे ने तो भारी प्रसिद्धि प्राप्त की थी। फ्राँस में चले इस मुकदमे में चूहों की पैरवी की थी विख्यात वकील बरथीलोमियू चासानी ने। चूहों पर आरोप था कि वे नागरिकों के अनाज एवं कपड़ों को नुकसान पहुँचाते हैं। चूहों के खिलाफ अदालत में हाजिर होने के लिए सम्मन जारी किया गया, पर चूहों को न आना था और न वे आए। जज ने चूहों के वकील चासानी से जब इस बावत पूछा, तो चासानी ने कहा कि सम्मन गलत था। सही मायने में सम्मन में स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिए कि किस मुहल्ले के चूहों को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश है। दुबारा आदेश हुआ। इस बार भी चूहे नहीं आए। जज ने पूछा, पर चासानी ने उत्तर देकर कहा कि उसके तमाम मुवक्किल चूहे बूढ़े व चलने में लाचार हैं। अतः उन्हें कोर्ट में लाने के लिए विशेष प्रबंध करने होंगे। जज ने बात मान ली, पर जब चूहे फिर भी नहीं उपस्थिति हुए, तो चासानी का जवाब था। मेरे मुवक्किल आने को तैयार थे, पर दूसरे पक्ष के लोगों ने अपनी बिल्लियों को बाँधकर नहीं रखा था, इसीलिए चूहे डर गए। यह अदालत की जिम्मेदारी है कि वह हर अपराधी तथा बचाव पक्ष की सहायता करे। जज को यह बात माननी पड़ी और उन्होंने शिकायत पक्ष के लोगों को इस ओर सावधान किया। किंतु फिर भी सारी बिल्लियों को न बाँधा जा सका एवं मुकदमा खारिज हो गया।

उन दिनों किसी जंतु पर जादू-टोना करने का आरोप लग जाए, तो उसका मरना निश्चित था। इंग्लैंड में 1495 में एक मुर्गी ने अंडा दिया। विज्ञान की दृष्टि से यह अनहोनी घटना नहीं है। परंतु लोगों को लगा कि मुर्गी अवश्य ही जादू-टोना जानती है। जज और वकील ने तो मुर्गी को शैतान का रूप कह डाला और अंत में सजा के तौर पर मुर्गी और उसके अंडे को भरे बाजार में जला दिया गया।

पति के सिर पर बाल न होना पत्नी के लिए कोई असामान्य घटना नहीं है। परंतु मन में सनक हो तब तो बात ही कुछ और है। तेहरान की एक सुँदरी ने पति के गंजे सिर को देखते ही मुकदमा दायर कर दिया। हुआ यह था कि विवाह के समय पति महाशय ने लुभावनी विग लगा रखी थी, जिससे नवेली दुल्हन अनजान थी। शादी के बाद एक रात एक भोज में कुछ शरारती बच्चों ने पति के बाल पकड़कर खींचे तो विग गिर पड़ी और रोशनी में गंजा सिर दिख गया। लोगों की खिलखिलाहट से पत्नी इतनी आहत हुई कि उसने पैंतालीस हजार डॉलर के गुजारे-भत्ते के साथ तलाक की माँग कर दी।

सबके तौर-तरीके बड़े अनूठे होते हैं। यहाँ कुछ भी संभव है। आमतौर पर विवाह के उपराँत महिलाओं को गृहस्वामिनी कहा जाता है। बीस वर्षीया एलिस कार्निन सल्मी तो सचमुच में गृहस्वामिनी बन गई। हुआ यह कि उसने उस मकान से ही शादी कर ली, जिसमें वह 20 साल से रहती आ रही थी। एलिस के अनुसार, लड़कियाँ बड़ी उत्सुकता से शादी करती हैं, परंतु पुरुष के अत्याचारों से तंग आकर कुछ समय बाद ही तलाक ले लेती हैं। लड़कियों को विवाह तो करना ही होता है, तो फिर अपने घर से ही शादी क्यों न कर ली जाए। सोच के इस विचित्र क्रम में एलिस को मकान से शादी करने की प्रेरणा मिली। यह विवाह संस्कार पूरी परंपरा एवं विधिपूर्वक उसी मकान से संपन्न हुआ। दूल्हे के पिता की भूमिका जेरी पोट से अदा की, जो व्यवसाय से बिल्डर हैं और जिन्होंने उस मकान का निर्माण किया था।

सुनकर हैरानी होती है कि 26 बच्चों के पिता को अभी भी एक अदद दुल्हन की खोज है। ये साहब हैं नेपाल के अब्दुल रहमान। इनकी दो शादियाँ हुई है और उनसे 26 बच्चे हैं। इनके अभी भी 20 बच्चे जीवित हैं। संतान प्राप्त करने की ललक में 55 साल के अब्दुल रहमान अब भी एक ऐसी नई-नवेली तीसरी बीबी की तलाश में है, जो ढेर सारे बच्चों को जन्म दे सके। इसी तरह संयुक्त अरब अमीरात के सलीमन जुमा मुबारक के जीवन की सबसे बड़ी तमन्ना है कि वह अपने मुल्क में सबसे अधिक बच्चे पैदा करें। सलीम की उम्र 50 वर्ष से कम है और वह 45 औलादों का पिता बन चुके हैं। उनकी तीन बीवियां है तथा इसके पूर्व चार पत्नियों को तलाक दे चुके हैं। अगर उन्होंने तलाक नहीं दिए होते, तो संभवतः बच्चों की संख्या और भी अधिक होती।

धनवान होते हुए भी और भी धन कमाने की सनक देखी जाती है, परंतु पैसों को थैली में रखकर भीख माँगने की बात बड़ी अजीबोगरीब है। ऐसी घटना में उस भिखारी को अंततः जेल की हवा खानी पड़ी, जो अपनी जेब में पूरी चार लोख रेयाल (भारतीय मुद्रा में पैंतीस लाख के बराबर) भरकर एक मस्जिद के नीचे भीख माँग रहा था। हुआ कुछ यों कि भीख माँगते समय उसकी एक अन्य व्यक्ति से झड़प हो गई। उस व्यक्ति ने भिखारी को दौड़ाया।

भागते समय भिखारी की जेब से चार लाख रेयाल का बंडल गिर पड़ा। लोगों ने उसे पकड़ा और पुलिस के हवाले कर दिया।

सनक का यह क्रम-जीते-ज्ी ही नहीं, मरने के बाद भी बना रहता है। अक्सर देखने में आता है कि शवयात्रा में शामिल होने वाला कोई भी व्यक्ति शराब पीकर नहीं आता है। लेकिन यदि मरने वाले की अंतिम इच्छा यही हो कि उसकी शवयात्रा में शामिल वही व्यक्ति हो जो शराब पिया हो। मोगा पंजाब के रामगढ़िया परिवार के गुरुदयाल सिंह की शवयात्रा में शरीक सारे व्यक्ति शराब के नशे में धुत थे। इसलिए कि यह गुरुदयाल की आखिरी ख्वाहिश जो थी। उसके बेटों ने उसकी मौत के बाद उसके घर पहुँचे लोगों को जमकर शराब पिलाई। उसके बाद ही पृतक की शवयात्रा चली।

सनक जन्मजात भी होती है और परिस्थितिजन्य भी। कहा जाता है कि सनकी व्यक्ति अपने माता-पिता की एकमात्र संतान अथवा बड़ी संतान होता है। सनकी बड़े जिज्ञासु होते है। ये अपने प्रिय विषय में लीन रहते हैं। इन्हें इस बात की कतई परवाह नहीं होती कि लोग क्या कहेंगे? नार्टिघम में एक सज्जन हैं, जो बैंकों में सुरक्षा उपकरण लगाने का काम करते हैं। उन्होंने विधिवत् अपना नाम राबिनहुड रखा हुआ है। राबिनहुड की तरह ही वे हरी पोशाक पहनते हैं तथा हाथ में धनुष-बाण लिए रहते हैं।

मनोविज्ञानी डॉ. डेविड विक्स ने सनकीपन से ग्रस्त एक महिला का वर्णन किया है। वह लिखते हैं कि उसे शानदार किस्म के पियानो रखने का शोक था तथा इसके पास ऐसे चार पियानो थे। इसे यह भी सनक थी कि मकान की सबसे ऊपरी अथवा कम-से-कम तीसरी मंजिल में रहना चाहिए। एक बार इसे ऐसा घर तो मिल गया, पर इस घर की सीढ़ियाँ घुमावदार थीं। अतः पियानो दीवारों से अड़ गए, पर पियानो को तो ऊपर जाना ही था। अतः दीवारें तोड़कर उन्हें ऊपर ले जाया गया, परंतु एक सप्ताह बाद ही इस महिला को यह जगह खराब लगने लगी और वह किसी दूसरे मकान में चली गई।

इसी प्रकार सेब्राइल के शासक अवादेल मोता दिल को खोपड़ियों के गुलदस्ते बनाकर उसमें आकर्षक फूल सजाकर रखने का बड़ा शौक था। खोपड़ियाँ वह अपने शत्रुओं का वध करके प्राप्त किया करता था। इंग्लैंड का विख्यात कवि बायरन भी खोपड़ियों का शौकीन था। वह उन्हें शराब पीने-पिलाने के लिए इस्तेमाल करता था। चीन की टाइलो नाम की एक लड़की खोपड़ियाँ इकट्ठा करने की इतनी शौकीन थी कि उसने अपने पिता की मृत्यु के बाद उसकी खोपड़ी भी अपने पास रख ली थी। रोजर पादरी को यह सनक थी कि वह हर दूसरे-तीसरे दिन हैट खरीदकर कब्रिस्तान में रख आता था, ताकि मुरदे इसे पहन सकें। रोमन सम्राट् नीरो की महारानी गधी के दूध से स्नान करती थी। विश्वसुंदरी क्लियोपेट्रा को भी गधी के दूध से नहाने की सनक थी।

जहाँ तक शेखों और उनकी परिवारों के लोगों की फिजूलखरची की बात है, उसके बारे में एक नहीं अनेक मनोरंजक तथ्य उपलब्ध हैं। संयुक्त अरब अमीरात की फिजूलखरची बेगमों में से वहाँ के एक शेख सैयद बिन सुलतान अल नहायन की बेगम शेखा हैं, जिन्होंने केवल 30 दिनों के अंदर 20 लाख डॉलर का समान खरीद कर घरेलू सामान की खरीददारी का विश्व रिकॉर्ड ही कायम कर दिया। इस खरीदे हुए सामान को हवाई अड्डे तक ले जाने के लिए 29 ट्रकों की जरूरत पड़ी और जब वे ट्रक सामान लेकर हवाई अड्डे की तरफ जा रहे थे, तो ऐसा लगता था कि जैसे ट्रकों का एक काफिला चल रहा हो। इतना ही नहीं एक और दिलचस्प बात इस मामले में यह भी है कि यह सामान जो केवल एक घर के लिए खरीदा गया था, वह 100 घरों की आवश्यकता से भी अधिक था। कहा जाता है कि संयुक्त अरब अमीरात के शेख सैयद बिन सुलतान अल नहायन इस समय 19000 करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक हैं और स्वयं भी फिजूलखरची के लिए देश विदेश में चर्चित हैं।

अपने विचित्र शौक के इसी क्रम में चीन में एक महिला ऐसी है, जिसके बाल दो मीटर 30 से.मी. से लंबे है। शेनयाँग में रहने वाली वाँग लीगवान वस्तुतः सबसे लंबे बालों वाली महिला हैं। वाँग लीजवान अपने इतने लंबे बालों को धोने के लिए किसी आधुनिक शैंपू का इस्तेमाल नहीं करती हैं। मजे की बात यह है कि वाँग की 19 वर्षीया लड़की के बाल भी काफी लंबे हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि वह अपनी माँ के लंबे बालों का रिकॉर्ड तोड़ने में सफल हो। बालों की वह कहानी पचास साल से उज्जैन नगर में बसी 94 वर्षीय संन्यासिनी जगदंबा के साथ भी है। इनके 19 फुट लंबे केश है। जगदंबा भी प्राकृतिक साधनों के अलावा किसी बाहरी प्रसाधन का उपयोग नहीं करती हैं। इन बालों को धोने में ही इनका दो घंटे या इससे ज्यादा समय लग जाता है। ऐसी ही कथाएँ और भी है, जो यह बताती हैं कि मनुष्य जिस अमूल्य जीवन ऊर्जा की बरबादी अपनी बेतुकी सनक भरे कारनामों में बरबाद करता है, वही बहुमूल्य ऊर्जा यदि सृजनात्मक कार्यों में खप सके, तो सृजन और सफलता के नए-नए कीर्तिमान खड़े किए जा सकते हैं।


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