धर्म का पर्यायवाची (kahani)

August 2001

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जगत् में रामकृष्ण परमहंस सूर्य की तरह उदित हुए। उन्होंने एक नया आदर्श रखा, लोकसेवा को भगवद्गीता कहा। उन्हें एक शिष्य मिला विवेकानंद। उसे उन्होंने तत्वज्ञान कूट-कूटकर पिलाया। शिष्य ने व्यक्तिगत सुविधा, ऋद्धि-सिद्धि या मोक्ष की बात कभी सोची ही नहीं, निरंतर मनुष्य जाति का हित ध्यान में रखा। संसारभर में घूमे और देश-विदेश में भारतीय संस्कृति का यथार्थवादी स्वरूप प्रस्तुत करने में प्राणपण से प्रयत्न किया। श्रेय से सदा दूर रहे। अपने गुरु के नाम से रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। इस निस्पृहता से उनके प्रति जनश्रद्धा घटी नहीं वरन् बढ़ी ही। सही व्यक्ति द्वारा सही मार्ग अपनाए जाने का सत्परिणाम सभी ने प्रत्यक्ष देखा। विवेकानंद मात्र 39 वर्ष जीवित रहे । पर इतने स्वल्पकाल में भी वे महत्वपूर्ण स्थापनाएँ करने में समर्थ हुए।

मगध के राजा सर्वदमन को राजगुरु की नियुक्ति अपेक्षित थी। यह स्थान बहुत समय से रिक्त पड़ा था। एक दिन महापंडित दीर्घलोम उधर से निकले। राजा से भेंट-अभिवादन के उपराँत महापंडित ने कहा, ‘राजगुरु का स्थान आपने रिक्त छोड़ा हुआ है। उचित समझें तो उस स्थान पर मुझे नियुक्त कर दें।’

राजा बहुत प्रसन्न हुए। साथ ही एक निवेदन भी किया, ‘आपने जो ग्रंथ पढ़े हैं, कृपया एक बार सबको फिर पढ़ लें। इतना कष्ट करने के उपराँत आपकी नियुक्ति होगी। जब तक आप आवेंगे नहीं, यह स्थान रिक्त ही पड़ा रहेगा।’

विद्वान् अपनी कुटी में वापस चले गए और सब ग्रंथ ध्यानपूर्वक पढ़ने लगे। जब पढ़ लिए, तो फिर नियुक्ति का आवेदन लेकर राजदरबार में उपस्थित हुए। राजा ने अबकी बार फिर और भी अधिक नम्रतापूर्वक एक बार फिर उन ग्रंथों को पढ़ लेने के लिए कहा। दीर्घलोम असमंजसपूर्वक फिर पढ़ने के लिए चल दिए।

नियत अवधि बीत गई, पर पंडित वापस न लौटे। तब राजा स्वयं पहुँचे और न आने का कारण जानना चाहा। पंडित ने कहा, ‘ गुरु अंतरात्मा में रहता है। बाहर के गुरु कामचलाऊ भर होते हैं। आप अपने अंदर के गुरु से परामर्श लिया करें।’

राजा ने नम्रतापूर्वक पंडित जी को साथ ले लिया और उन्हें राजगुरु के स्थान पर नियुक्त कर दिया। बोले, ‘अब आपने शास्त्रों का सार जान लिया, इसलिए आप उस स्थान को सुशोभित करें।’ धर्म का अर्थ मात्र कथावाचन-कर्मकाँड भर समझ लेना नहीं, अपितु उसे अनुरूप आचरण करना भी है। दिव्यदर्शी ऋषियों ने इसी कारण आदर्शवादी चरित्रनिष्ठा को धर्म का पर्यायवाची माना है।


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