एक व्यक्ति किसी विद्वान के पास पहुँचा, बोला-मैं ईमानदारी से जीवनयापन करता हूँ, पर कोई न मेरी प्रशंसा करता है और न प्यार। विद्वान ने कहा-ईमानदारी अच्छी बात है, पर उसके साथ मधुर व्यवहार और सेवाभावी सहकार भी जुड़ा रहना चाहिए। इतना कर सको तो फिर प्रशंसा की कमी न रहेगी, न प्यार पाने की शिकायत करनी पड़ेगी।