योग्यता और सेवा-साधना (Kahani)

March 1994

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ओहियो के जंगल में गारफील्ड की विधवा माता रहती थी। लकड़ी काट कर गाँवों में बेचने जाती, तो लड़के को झोपड़ी में बंद करके लगा जाती, ताकि जंगल के भेड़िये उसे खा न जाये। राज को माँ उसे दुलार करती और कुछ पढ़ाती॥ बड़ा होकर माँ-बेटे ने एक खच्चर ले लिया और लकड़ियाँ सिर पर ढोने की अपेक्षा उसी पर लाद कर ले जाने लगे। गारफील्ड को पढ़ने भी पढ़ाई भी पढ़ने लगा और ज्ञानवर्धक साहित्य भी। युवा होते-होते बह ग्रेजुएट बन गया और दूसरी अच्छी नौकरी भी मिल गई। इसी के साथ बचे हुये समय में वह समाज सेवा के अनेक कार्य करता। उसके स्वभाव और चरित्र से उस क्षेत्र के सभी लोग परिचित हो गये।

प्रगति पथ की अनेक मंजिलें पार करते हुये गारफील्ड अमेरिका की राज्यसभा का सदस्य चुना गया। इससे अगले चुनाव में वह राष्ट्रपति के पद पर प्रतिष्ठित हुआ। यह सफलता किसी देवता के वरदान से नहीं, उसे अपनी योग्यता और सेवा-साधना के बलबूते पर उपलब्ध हुई थी।

यह पथ हर व्यक्ति के लिए खुला हुआ है। जो किसी की प्रतीक्षा न कर स्वयं पुरुषार्थ में संलग्न होते हैं, वे अपनी संकल्प शक्ति से लक्ष्य को प्राप्त करके रहते हैं।


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