लोकसेवी प्रकाश स्तम्भ के समान होते हैं दीपक के समान जलते हैं व अन्य- अनेकों को प्रकाश देते हैं। रात्रि का घना अंधकार था। यात्री को कई कोस आवश्यक काम से जाना था। रास्ता सूझ नहीं पड़ता था। एक गरीब की कुटिया से जलता उसका दीपक माँगा । उसने दे दिया। दीपक छोटा था, पर उसका प्रकाश यात्री से दस कदम आगे चलता। हवा में बुझने न पाये इसका ध्यान रखा चलता। यात्री गन्तव्य स्थान तक पहुँच गया। प्रकाशवान् व्यक्तित्व भले ही छोटे हों, किसी के पास है तो उसे संकट से उबार देते हैं।