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Akhand Jyoti
Year 1991
Version 2
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July 1991
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तृष्णा का कोई अन्त नहीं। आकाश की तरह उसके पेट में बहुत कुछ भरा होने पर भी खाली ही रहता है।
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Page Titles
सामूहिकता के चमत्कारी सत्परिणाम
कीमती रत्न
क्या ईश्वर पर मुकदमा चल सकता है?
कुतर्कों का पर्दाफाश (Kahani)
उद्दण्डता पर क्षमा की प्रतिक्रिया
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भाव सरोवर में घुली विषाक्तता कैसे मिटे?
कुछ हाथ लगेगा नहीं (Kahani)
भव बंधनों से मुक्ति
छुटकारा पाना मोक्ष है (Kahani)
बदलते समय के साथ अनुकूलन जरूरी
हमारी प्रगतिशीलता (Kahani)
नया जन्म, नयी यात्रा
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आत्मोत्कर्ष के लिए किया गया संतुलित पुरुषार्थ
विवेकशीलता का परिचय (Kahani)
अनुसंधान आत्मसत्ता का भी हो
चमत्कारों का अधिपति (Kahani)
जीवन को सफल बनाने वाला व्यावहारिक अध्यात्म
हृदयंगम कर लेना (Kahani)
कलि का आगमन व प्रस्थान
आज की समस्याएँ, कारण व समाधान
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गायत्री महाशक्ति का स्वरूप और रहस्य
नाभिचक्र जगाएँ-शक्ति के पुँज बनें
वह कालजयी
वसुधैव कुटुम्बकम् की उदात्त भावना विकसित हो
व्यक्तित्व की संरचना एवं विकास के सोपान
राजमार्ग सभी के लिए खुला (Kahani)
सच्चा पाण्डित्य
युग की माँग (Kahani)
सुधार का शुभारम्भ अपने आप से
चिन्तन-मनन का प्रभाव (Kahani)
सुधारने की आवश्यकता (Kahani)
सूक्ष्म जगत के परिशोधन-परिष्कार हेतु अध्यात्म उपचार
परमार्थ सार्थक कैसे बने?
व्यवस्था के आधार (Kahani)
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अपंगों की मसीहा
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जड़ी-बूटी विज्ञान का नये सिरे से अनुसंधान
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आत्मानुशासन का प्रखर पुरुषार्थ
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चमत्कारों की जननी संतुलित श्रम-निष्ठ
साधने का प्रयास (Kahani)
परम पूज्य गुरुदेव का गुरुपूर्णिमा प्रवचन
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श्रद्धा-संकल्प (Kavita)
युग-दधीचि को गुरुपर्व पर श्रद्धाँजलि
प्रयास की यह कथा (Kahani)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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