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July 1991

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मेघ समुद्र से झपटता, खारे को मीठा बनाता, नीचे से ऊँचा उठता और बिना प्रतिफल की आशा के जी खोलकर बरसाता है। इसी को कहते है जीवन।

उपजे उत्साह-उल्लास का वरदान है। यह सब इसी से पनपा, इसी में बढ़ा और विकसित हो रहा है। मेरा तो कहना यही है कि हर कीमत पर उत्साह बरकरार रखो क्षण-क्षण जीवन का आनन्द लो। अस्तित्व के महान सौंदर्य को प्रकट करो। कहते-कहते वह कराह उठी, शायद रीढ़ का दर्द फिर उभर उठा था। हल्की सी सिसकारी के साथ वह पलंग पर लेट गई।

उसकी बातों को सुन रही एलीनेर उसके धैर्य को सराहती हुई बोली मुझे विश्वास है सारा एक दिन यह बीमारी जरूर तुमसे हारेगी और एक दिन यह सत्य घटित हुआ, बीमारी को हारना पड़ा। भले ही इस लड़ाई में सारा को शरीर के कुछ अंगों की सामर्थ्य गंवानी पड़ी। ठीक होते ही उसने वोस्टन में एक स्कूल खोला। अपंगों के लिए खोले गए इसी स्कूल में सुप्रसिद्ध हेलन कीलर का शिक्षण हुआ था उनकी निर्मात्री थी यही सारा फुलर जिनके समूचे जीवन से प्रतिफल यही संदेश झरता था। “उत्साह आनन्द परिपूरित अस्तित्व की अभिव्यक्ति का द्वार है इसे किसी कीमत पर बन्द मत होने देना।


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