परमेश्वर तुम्हारा रूप धारण करने को इस शर्त पर तैयार है कि तुम उसका रूप धारण कर सको।
उपयोग उपचार है। रस-भस्मों का प्रचलन तो बाद का भी है और बाहर से आया हुआ भी।
देव संस्कृति की पुरातन परम्पराओं को नवजीवन प्रदान करने के संदर्भ में शान्तिकुँज द्वारा महत्वपूर्ण सभी जड़ी-बूटियों का उपयोग उपचार है। रस-भस्मों का प्रचलन तो बाद का भी है और बाहर से आया हुआ भी।
देव संस्कृति की पुरातन परम्पराओं को नवजीवन प्रदान करने के संदर्भ में शान्तिकुँज द्वारा महत्वपूर्ण सभी जड़ी-बूटियों का शोधकार्य नये सिरे से प्रारंभ किया गया है। इसके लिए आश्रम की भूमि में दुर्लभ वनौषधियाँ दूर-दूर से, विशेषतया हिमालय क्षेत्र से खोज-खोज कर लाई लगाई गई हैं। इन सभी का रासायनिक विश्लेषण करने के लिए एक सर्वांगपूर्ण प्रयोगशाला बनाई गई है। उससे हर जड़ी-बूटी के असली-नकली होने का उसमें रहने वाले पदार्थों तथा गुणों का वर्गीकरण-विश्लेषण हो सके। इस आधार पर यह संभव हुआ है कि वैज्ञानिक क्षेत्रों को भी जड़ी-बूटियों की गुण-गरिमा और प्रभाव क्षमता से परिचित-प्रभावित किये जाने में मदद मिली है।
इन प्रयोगों के आधार पर आशा की गयी है कि आयुर्वेद को पुनः विश्वव्यापी मान्यता मिलेगी। विज्ञान की परीक्षण कसौटी पर वह खरा उतरेगा। चरक सुश्रुत, वाग्भट्ट आदि ऋषियों के महान प्रयास पर छाये हुए कुहासे को हटाने वाला नया प्रभात उदय होगा।