रोशनी मैं वहीं से लाया था (Kahani)

October 1990

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इदरीस शाह एक बार बस्ती में भ्रमण पर निकले। संध्या का समय था। रास्ते में उन्हें एक बच्चा मिला जो अपने हाथ में दिया उठाये था। इदरीश शाह ने बच्चे से पूछा- “यह कहाँ से लाए हो?”

बच्चे ने दिया बुझा दिया फिर बोला- “यह रोशनी मैं वहीं से लाया था जहाँ अब यह चली गई है।”

बच्चे के मुँह से यह उत्तर सुन इदरीस अवाक् रह गये उन्होंने बच्चे को मन ही मन प्रण किया व वे सोचने लगे “यह बच्चा जन्म-मरण के सिद्धान्त को कितना सरल तरीके से समझाता है।”


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