गौमाँस नहीं खाते (Kahani)

October 1990

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बाबर ने अपने पुत्र हुमायूँ के नाम वसीयत नामा छोड़ा “हिन्दुस्तान में कई मजहब के लोग बसते हैं। खुदा का शुक्र अदा करो कि उन्होंने तुम्हें इस मुल्क का शहंशाह बनाया है तुम ताअस्सुब से काम न लेना, गैर जानिमदार रहते इंसाफ करना, सब मजहबों की भावनाओं का ख्याल रखना और किसी तबके की पूजा के स्थान को जाण (नष्ट) न करना (मेजर चार्ल्स स्टुअर्ट के संकलन से) वसीयतनामे का हुमायूँ ने पूर्णतया पालन भी किया। ईरान जाते समय जब रास्ते में उसे भूख लगी तो उन्होंने नौकरों को भेजकर कामरान शहर से साग सब्जी मंगवाई किन्तु गौमाँस के अतिरिक्त उन्हें कुछ नहीं मिला। उस दिन हुमायूँ भूखे ही सो गये और बोले इससे तो हिन्दुस्तान की धरती पाक साफ है। वहाँ तो हमारे पिता की कब्र को झाड़ने बुहारने वाले तक गौमाँस नहीं खाते।


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