वास्तविकता बहुत देर तक छिपाए नहीं रक्खी जा सकती। व्यक्तित्व में इतने अधिक छिद्र होते हैं कि उनमें होकर गंध दूसरों तक पहुँच ही जाती हैं। इसलिए कमजोरियाँ पर गन्दगी पर आवरण न डालकर उनके निष्कासन के स्वच्छता के प्रयासों में निरत रहना चाहिए।