साहसी बेनिट (Kahani)

February 1989

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इंग्लैंड उन दिनों युद्ध में फंसा था। युवक और प्रौढ़ मोर्चा संभाल रहे थे। अस्पताल में घायलों की सेवा के लिए वयोवृद्ध और दूसरे हलके स्तर के लोग आ गये थे। आहतों की समुचित सेवा नहीं बन पड़ रही थी।

इस अभाव को, समय की आवश्यकता को किशोरी बेनिट ने समझा उन दिनों उसकी विवाह की चर्चा चल रही थी। उसने उस विचार को तिलाँजलि दे दी और युद्ध का दूसरा मोर्चा घायलों की सेवा करने के कार्य में जुट गई। उसने अपने को नर्स रूप में पूर्ण-संलग्न किया और साथ ही कुमारिकाओं में जाकर उनसे देश सेवा के लिए कुछ साहस दिखो का भी उत्साह भरा। देखते देखते इंग्लैंड में नर्सों  की इतनी बड़ी मण्डली तैयार हो गई कि उनने न केवल घायलों की सेवा वरन् देश के स्वास्थ्य विभाग को पूरी तरह सम्भाल लिया।


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