एक रास्ता बड़ा कटीला था। उसमें कंकड़ भी बिऐ थे। जो उस पर चलता उसके पैर लहूलुहान हो जाते।
एक व्यक्ति ने उन काँटों ओर कंकड़ों को बीनना प्रारम्भ किया। रास्ता बहुत लम्बा था। फिर नये काँटे ओर कंकड़ उभार आते थे। उसके इस श्रम को देख कर किसी समझदार ने कहा, इस रास्ते वर चलने वाले को जुते पहनने चाहिए। कांटों रहित रास्ता बन सकना कठिन है।
संसार में विग्रह कांटों की तरह है। उन्हें हटाया नहीं जा सकता हम अपने व्यक्तित्व को गुण,कर्म, स्वभाव को ही ऐसा बना सकते है कि किसी अड़चन से परास्त न होना पड़े।