एक सन्त समाधि में बैठे थे। स्थान सुनसान जंगल का था। शेर ने संत को सूँघा और वापस लौट गया।
यह दृश्य एक शिष्य देख रहा था। समाधि खुलने पर शिष्य उनके समीप आया। वार्त्तालाप चल रहा था। कि एक कीड़े ने सन्त को काट खाया। वे दर्द से कराहने लगे।
शिष्य ने पूछा जब आप समाधि में बैठे थे तब शेर से नहीं डरे अब छोटे से कीड़े के काटने पर इतने विचलित क्यों होते हो?
सन्त ने कहा- उस समय मेरे साथ ईश्वर था। इसलिए निर्भय था पर अब तो सिर्फ तू ही कमजोर मन वाला मेरे पास बैठा है। ऐसी दशा में कराह न निकले तो और क्या हो ?