आत्मिक प्रगति का सर्वोपरि आधार श्रद्धा

June 1988

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जिस प्रकार भौतिक क्षेत्र में अग्नि की शक्ति को प्रमुख माना गया हैं, उसी प्रकार अध्यात्म क्षेत्र की ऊर्जा श्रद्धा द्वारा उपलब्ध होती हैं। किसी तथ्य को समझने में तर्क और प्रमाण की आवश्यकता होती हैं। किसी निश्चय -निर्णय पर पहुँचने के लिए प्रमाण और उदाहरणों की जरूरत पड़ती हैं। समाधान हो जाने पर उस निश्चय को कार्यान्वित करने के लिए संकल्प शक्ति का प्रयोग करना पड़ता हैं, ताकि मन की चंचलता उसे उतावले बालक की तरह छोड़नी न पड़े । मान का स्वभाव बन्दर जैसा है। उसमें जल्दी-जल्दी काम बदलने की आतुरता पाई जाती हैं, इसलिए उसकी रोकथाम करके नियत काम में लगाये रहने के लिए अनुशासन की लगाम लगाये रहनी पड़ती हैं, अन्यथा समय साध्य कामों में चंचलता प्रदर्शित करने से वे बीच में ही छूट जाते हैं। उतावली निराशा में बदल जाती हैं। चिरस्थायी वट वृक्ष विकसित होने में देर लगती हैं। बाजीगर हथेली पर सरसों जमा सकते है, पर माली विशाल वृक्षों का उद्यान उतनी जल्दी लगा देने का वायदा नहीं कर सकता। ताश का महल तुरन्त भी खड़ा किया जा सकता हैं, पर किसी सुनियोजित नगर को बसा देना समय साध्य हैं। आत्मिक प्रगति के बार में भी यही बात हैं। इसलिए उस दिशा में कदम बढ़ाने वाले को संकल्प करना होता हैं कि इतना तो पूरा करके ही रहा जायेगा, चाहे असुविधा का सामना ही क्यों न करना पड़े ?

प्रसिद्ध दार्शनिक चिन्तक मूर का मत हैं कि अच्छे काम को करने में धन की आवश्यकता कम पड़ती हैं, परÞक्क्कहृह्य द्दभ्ठ्ठ; क्द्मस्द्भ द्यड्डस्रंघद्ब स्रद्ध क्द्ध/द्मस्रव ्न ;द्द ,स्र द्यह्नद्धह्वद्ध'श्चह् ह्स्न; ,शड्ड द्बद्भद्धद्धम्द्मह् द्बभ्;द्मह्यफ् द्दस्ड्ड द्धस्र द्धह्लद्य स्रर्द्म; स्रह्य द्बद्धहृह्य द्गह्वद्मह्य;द्मह्यफ् द्बर्ख्शंस्र ड्ढक्कहृद्म 'द्मद्धु स्रह्य द्यद्मस्नद्म ब्फ्द्म ह्लद्मह्द्म द्दस्ड्ड] शद्द ॥द्मब्द्ध ॥द्मद्मड्डद्धह् द्बख्द्भद्म द्दद्मह्यस्रद्भ द्भद्दह्द्म द्दस्ड्ड्न द्यद्मड्डद्यद्मद्धद्भस्र क्स्नद्मशद्म क्द्म/;द्मद्धक्रद्गस्र द्दद्भ म्द्मह्य= द्गह्यड्ड ;द्द ष्द्मह् ब्द्मफ्ख् द्दद्मह्यह्द्ध द्दस्ड्ड्न

द्यड्डठ्ठह्यद्दद्मह्यड्ड स्रद्म] द्धह्लय़द्मद्यद्मक्द्मह्यड्ड स्रद्म द्यद्गद्म/द्मद्मह्व द्धह्व'श्च; द्बद्भ द्बद्दह्नँश्चह्वह्य द्यह्य द्बद्दब्ह्य द्दद्ध स्रद्भ ब्ह्यह्वद्म श्चद्मद्धद्द, ]ह्द्मद्धस्र क्ह्वह्यस्र द्बभ्स्रद्मद्भ स्रह्य द्गह्&द्गह्द्मह्द्भद्मह्यड्ड द्गह्यड्डड्ड ष्द्दस्र स्रद्भ क्द्यद्गड्डह्लद्य द्गह्यड्ड ह्व द्बरु+ह्वद्म द्बरु+ह्य्न द्भद्मरुह्ह्य क्ह्वह्यस्र द्दस्ड्ड] द्बद्भ द्वह्वद्गह्यड्ड द्यह्य ,स्र द्बद्भ द्दद्ध श्चब्द्म ह्लद्म द्यस्रह्द्म द्दस्ड्ड] द्धश्चद्धस्रक्रद्यद्म ,स्र द्यह्य द्दद्ध स्रद्भद्म;द्ध ह्लद्मह्द्ध द्दस््न म्द्म.द्म&म्द्म.द्म द्गह्यड्ड द्धश्चद्धस्रक्रद्यस्र क्द्मस्द्भ द्वद्बश्चद्मद्भ ष्ठ्ठब्ह्ह्य द्भद्दह्वह्य द्यह्य द्भद्मह्यफ्द्ध स्रद्ध द्दद्मद्धह्व द्दद्ध द्दद्मद्धह्व द्दस्ड्ड्न ड्ढद्यद्धब्, ह्लद्मह्य स्रठ्ठद्ग द्वक्चद्म;ह्य ह्लद्म;] द्गह्लष्ख्ह्द्ध द्यह्य द्वक्चद्म;ह्य ह्लद्म;्न ब्द्मह्यस्र ह्र;शद्दद्मद्भ स्रद्ध ह्द्भद्द ;द्दद्ध ष्द्मह् क्/;द्मक्रद्ग द्बभ्;द्मह्यह्लह्वद्मह्यड्ड स्रह्य द्धब्, ॥द्मद्ध द्यद्दद्ध द्धद्य) द्दद्मह्यह्द्ध द्दस्ड्ड्न

द्गह्वद्मह्यशस्य़द्मद्धह्वस्र ,रुफ्द्भ स्रद्म द्गह् द्दस्ड्ड द्धस्र द्दह्य; स्रद्गर्द्मंह्य स्रद्ध क्द्मह्यद्भ ह्द्मह्य द्गह्व स्रद्ध रुशद्म॥द्मद्मद्धशस्र द्बभ्शक्वद्धनद्म द्दद्मह्यह्द्ध द्दस््न द्वद्यह्य द्धद्य[द्मद्मह्वह्य स्रद्ध ॥द्मद्ध क्द्मश';स्रह्द्म ह्वद्दद्धड्ड द्बरु+ह्द्ध्न ष्क्कश्चद्म द्बस्ठ्ठद्म स्रद्भह्वह्य स्रद्ध द्धय;द्म ह्द्मह्य द्ब'द्मह्न द्बम्द्मद्ध ॥द्मद्ध द्यद्ग; क्द्मह्वह्य द्बद्भ क्ह्त्न द्बभ्ह्यद्भ.द्मद्म स्रह्य क्द्म/द्मद्मद्भ द्बद्भ द्यद्ध[द्म ह्लद्मह्ह्य द्दस्ड्ड] द्बद्भ द्यड्डफ्द्धह्&द्ध'द्मंघद्ब स्रह्य द्यश्वष्/द्म द्गह्यड्ड ,ह्यद्यद्ध ष्द्मह् ह्वद्दद्धड्ड द्दस्ड्ड्न द्वद्यस्रह्य द्धब्, क्/;द्मद्बस्र श्चद्मद्धद्द, क्द्मह्यद्भ द्यद्मस्नद्म द्दद्ध ब्फ्ह्व द्बर्ख्शंस्र क्॥;द्मद्य ॥द्मद्ध श्चब्ह्वद्म श्चद्मद्धद्द,्न द्यद्म/द्मह्वद्म ,ह्यद्यद्म द्दद्ध द्वक्कश्चरुह्द्भद्ध; स्रक्वक्र; द्दस्ड्ड] द्धह्लद्यह्य ;द्धठ्ठ ॥द्मद्मशद्मशह्य'द्म द्गह्यड्ड क्द्मद्भश्व॥द्म द्धस्र;द्म ह्लद्मह्द्म द्दस्ड्ड क्द्मस्द्भ ;द्मह्यह्लह्वद्मष्) द्धस्रद्य द्बभ्स्रद्मद्भ द्भ[द्मद्म ह्लद्म;] ;द्द स्रर्द्म;यद्ग ह्वद्दद्धड्ड ष्ह्वद्म;द्म ह्लद्मह्द्म ह्द्मह्य द्वद्यस्रद्म द्बख्द्भद्म द्दद्मह्यह्वद्म क्द्मस्द्भ द्बद्मद्भ द्दद्मह्य द्बद्मह्वद्म स्रद्धक्चह्व द्दस््न

;द्द शद्द क्द्म/द्मद्मद्भ द्दस्] ह्लद्मह्य ॥द्मद्मस्द्धह्स्र क्द्मद्भ क्द्म/;द्मद्धक्रद्गस्र द्य॥द्मद्ध स्रद्म;र्द्मंह्य द्बद्भ द्यद्गद्मह्व :द्ब द्यह्य ब्द्मफ्ख् द्दद्मह्यह्द्म द्दस्ड्ड] द्धस्रह्ह्नह्न द्यद्म/द्मह्वद्म म्द्मह्य= द्गह्यड्ड द्वह्द्भह्वह्य शद्मब् स्रद्म क्द्बह्वद्म क्द्मँशद्मँ ..... ,स्र द्धश'द्मह्य"द्म द्बभ्स्रद्मद्भ स्रद्ध टह्लर्द्मं स्रद्म ..... द्गह्यड्ड द्बरु+ह्द्म द्दस्ड्ड] क्द्मस्द्भ शद्द द्दस् & छ्व)द्म ..... क्शब्श्वष्ह्व ब्ह्यह्वद्म स्रद्दह्ह्य स्नद्मह्य] *द्यठ्ठ−द्धशश्चद्मद्भ द्बद्भ ..... क्शब्श्वष्ह्वट्ट ्न द्धशह्वद्मह्यष्द्म वछ्व)द्मÞ द्दस््न ;द्दद्ध छ्व)द्म द्गह्वह्न"; स्रद्मह्य ष्ठ्ठब् ठ्ठह्यह्द्ध द्दस्ड्ड] द्यष् ह्द्भद्द द्यह्य द्बभ्ह्यद्भ.द्मद्म ठ्ठह्यह्द्ध द्दस्ड्ड क्द्मस्द्भ द्वद्यस्रह्य ह्लद्धशह्व स्रद्मह्य द्यद्मस्नर्द्मंस्र ष्ह्वद्मह्द्ध द्दस्ड्ड्नट्ट&द्भद्मद्गद्म;.द्म ..... द्गह्यड्ड *॥द्मशद्मह्वद्ध 'द्मड्डस्रद्भद्मस्& शठ्ठह्य&छ्व)द्म द्धश'शद्मद्य:द्धद्ब.द्मद्मस्ड्डव स्रद्द स्रद्भ द्धश'शद्मद्य स्रद्मह्य द्ध'द्मश स्रद्ध क्द्मस्द्भ छ्व)द्म स्रद्मह्य द्बर्द्मशंह्द्ध स्रद्ध द्वद्बद्गद्म ठ्ठद्ध द्दस्ड्ड] ह्लद्मह्य द्यठ्ठद्म द्यद्मस्नद्म&द्यद्मस्नद्म द्भद्दह्ह्य द्दस्ड्ड्न द्यद्मस्नद्म द्दद्ध ;द्द ॥द्मद्ध स्रद्दद्म फ्;द्म द्दस्ड्ड द्धस्र ड्ढह्वस्रद्ध द्यद्दद्म;ह्द्म स्रह्य द्धष्ह्वद्म क्द्बह्वह्य क्ह्द्भद्मब् द्गह्यड्ड द्धशस्त्रद्गद्मह्व द्बद्भद्गद्मक्रद्गद्म स्रह्य ठ्ठ'र्द्मंह्व ह्वद्दद्धड्ड द्दद्मह्य द्यस्रह्ह्य्न द्धश'शद्मद्य द्गह्यड्ड द्धह्व'श्च; स्रद्म ॥द्मद्मश द्दस्ड्ड्न द्धश'शद्मद्य द्दद्मह्यह्वह्य द्बद्भ द्गह्व ॥द्मंकस्रह्द्म ह्वद्दद्धड्ड्न ,स्र द्धह्व.र्द्मं; स्रद्भ ब्ह्यह्द्म द्दस्ड्ड क्द्मस्द्भ द्धह्व/द्मर्द्मंद्धद्भह् द्गद्मफ् द्बद्भ श्चब् द्बरु+ह्द्म द्दस््न द्यद्मड्डद्यद्मद्धद्भस्र द्बभ्;द्मह्यह्लह्वद्मह्यड्ड द्गह्यड्ड द्यक्तब्ह्द्म ह्स्र द्बद्दह्नँश्चह्वह्य स्रह्य द्धब्, य़द्मह्व क्द्मस्द्भ स्रर्द्गं स्रद्म द्यद्गश; द्दद्ध द्ब;र्द्मंढ्ढह् द्दस्ड्ड] द्बद्भ क्/;द्मक्रद्ग ड्ढद्यद्यह्य ,स्र द्यद्ध<+द्ध टँश्चद्मर्ड्ढं द्बद्भ द्दस््न द्वद्यस्रह्य द्धब्, ,स्र द्धश'द्मह्य"द्म क्शब्श्वष्ह्व छ्व)द्म स्रद्म ॥द्मद्ध द्दद्मह्यह्वद्म श्चद्मद्धद्द,्न

य़द्मह्व द्गद्धरुह्"स्र स्रद्म क्द्मस्द्भ स्रर्द्गं 'द्मद्भद्धद्भ स्रद्म द्धश"द्म; द्दस्ड्ड्न क्/;द्मक्रद्ग स्रद्म द्वठ्ठ−फ्द्ग ड्ढद्यद्यह्य टँश्चद्म द्दस््न ;द्द फ्ड्डफ्द्मह्य=द्ध छ्व)द्म स्रह्य फ्द्मह्यद्गह्न[द्म द्यह्य द्बभ्रुक्तह्नद्धंकह् द्दद्मह्यह्द्ध द्दस्ड्ड्न छ्व)द्म स्रद्म ॥द्मद्मश&द्यड्डशह्यठ्ठह्वद्म स्रद्म द्धद्गछ्व.द्म द्भद्दह्द्म द्दस्ड्ड्न द्बभ्ह्यद्ग स्रद्म क्शब्श्वष्ह्व] द्भद्य स्रद्ध क्ह्वह्न॥द्मख्द्धह् ;द्दद्ध छ्वक्व)द्म स्रद्ध ह्र;द्म[;द्म द्दस््न द्वद्यस्रह्य द्यद्धश्वद्गद्धब्ह् द्दद्मह्य ह्लद्मह्वह्य द्बद्भ द्धशश्चद्मद्भद्मह्यह्यड्ड स्रद्ध] ह्स्र स्रद्ध] द्धश'शद्मद्य स्रह्य द्वब्क&द्बह्नब्क स्रद्ध स्रद्मह्यर्ड्ढं क्द्म'द्मड्डस्रद्म ह्वद्दद्धड्ड द्भद्दह्द्ध्न क्ह्त्नस्रद्भ.द्म स्रद्ध फ्द्दद्भद्मर्ड्ढं ह्स्र द्धह्लद्य छ्व)द्म ह्वह्य द्बभ्शह्य'द्म द्बद्म द्धब्;द्म द्दस्ड्ड] द्वद्यद्ध स्रह्य द्भड्डफ् द्गह्यड्ड द्यख्द्गख्श्चद्ध श्चह्यह्ह्वद्म <ब् ह्लद्मह्द्ध द्दस् क्द्मस्द्भ द्धक्तद्भ द्धश'शद्मद्य द्दद्ध ह्वद्दद्धड्ड] क्ह्वह्न॥द्मश ॥द्मद्ध शस्द्यद्म द्दद्ध द्दद्मह्यह्वह्य ब्फ्ह्द्म द्दस्ड्ड्न

फ्द्धह्द्म स्रद्म स्रस्नद्मह्व द्दस्ड्ड & छ्व)द्म द्ग;द्मह्यंग;ड्ड द्बह्न:"द्मद्मह्यड्ड ;द्मह्यड्ड ;क्कहृह्न)त्न द्य ,शड्ड द्यत्न ्न क्स्नद्मर्द्मंह्− ;द्द द्गह्वह्न"; छ्व)द्म द्बद्भ क्शब्द्धश्वष्ह् द्दस्ड्ड्न द्धह्लद्यस्रद्ध ह्लस्द्यद्ध छ्व)द्म द्दस्] शद्द शस्द्यद्म द्दद्ध ष्ह्व ;द्म <ब् ह्लद्मह्द्म द्दस्ड्ड्न द्धह्लद्यह्वह्य क्द्बह्वह्य क्द्मद्बस्रद्मह्य श्चद्मह्यद्भ] क्ह्वद्मश्चद्मद्भद्ध] द्गख्[र्द्मं] क्द्मद्धठ्ठ द्गद्मह्व द्भ[द्मद्म द्दस्ड्ड] द्वद्यस्रह्य शद्दद्ध फ्ह्न.द्म क्द्मस्द्भ शद्दद्ध ब्म्द्म.द्म द्व॥द्मद्भ&द्व॥द्मद्भ स्रद्भ क्द्मह्ह्य द्भद्दह्यड्डफ्ह्य्न ड्ढद्यद्ध द्बभ्स्रद्मद्भ ह्लद्मह्य क्द्बह्वह्य द्यश्वष्/द्म द्गह्यड्ड ह्] द्यञ्जह्लह्व] छ्वह्य"क्च द्दद्मह्यह्वह्य स्रद्ध द्गद्म;ह्द्म ष्ह्वद्म ब्ह्यह्द्म द्दस्ड्ड] द्वस्रद्यद्ध शद्दद्मँ द्धश'द्मह्य"द्मह्द्म द्व॥द्मद्भह्द्ध द्धय;द्मद्धशह् .... ठ्ठक्वद्ध"कफ्द्मह्यश्चद्भ द्दद्मह्यह्द्ध द्दस््न क्ह्त्नस्रद्भ.द्म स्रह्य क्ह्वह्न:द्ब द्दद्ध .... ह्र;द्धुक्रश द्धशद्धह्वद्धर्द्गंह् द्दद्मह्य ह्लद्मह्द्म द्दस्ड्ड्न ह्ठ्ठ−ह्वख्:द्ब द्दद्ध द्यद्गख्श्चद्म .... द्बद्धद्भद्बष्ठश द्दद्मह्य ह्लद्मह्द्ध द्दस्ड्ड] द्धक्तद्भ ष्द्मद्दद्भद्ध द्वद्यस्रद्ध ॥द्मद्मशह्वद्म .... द्वद्य द्बद्भ स्रद्मद्ग ह्वद्दद्धड्ड स्रद्भह्ह्य] द्वद्यद्गह्यड्ड द्भद्य द्बद्भद्मद्ग'र्द्मं ;द्म ठ्ठष्द्मश ॥द्मद्ध .... स्रद्म द्यद्गख्श्चद्म <द्मँश्चद्म ह्लद्मह्य द्वद्य ह्लद्मह्य द्वद्य द्बभ्द्धय;द्म द्गह्यड्ड <ब् ह्लद्मह्द्म द्दस्ड्ड्न क्/;द्मक्रद्ग स्रद्म द्वठ्ठ−॥द्मश छ्व)द्म स्रह्यठ्ठभ् स्रह्य द्वक्रस्र"र्द्मं :द्ब द्गह्यड्ड द्दद्ध द्दद्मह्यह्द्म द्दस््न

छ्व)द्म द्बभ्;क्रह्व द्बर्ख्शंस्र ह्लद्गद्मह्वद्ध द्बरु+ह्द्ध द्दस्ड्ड्न फ्ड्डफ्द्म ठ्ठह्यशद्ध द्दस््न .... ठ्ठह्यशद्मक्रद्गद्म द्दस्ड्ड्न ड्ढ"क ठ्ठह्यश स्रद्ध द्यनद्मद्म द्यह्नद्धह्वद्ध'श्चह् द्दस््न .... द्गह्यड्ड द्बभ्द्धह्द्गद्म क्स्नद्मशद्म फ्ह्न: स्रह्य द्गद्म/;द्ग द्यह्य क्द्बह्वद्ध ॥द्मद्मशह्वद्मक्द्मह्यड्ड द्गह्यड्ड ह्लद्गद्मह्वद्म क्द्मस्द्भ द्बस्रद्मह्वद्म द्बरु+ह्द्म द्दस्ड्ड्न द्धह्लद्यह्य ड्ढद्यद्गह्यड्ड .... द्धद्गब् फ्;द्ध] द्यद्ग>ह्वद्म श्चद्मद्धद्द, द्धस्र ड्ढ"क द्बभ्द्मद्धढ्ढह् स्रद्ध .... द्गड्डद्धह्लब् द्बद्मद्भ द्दद्मह्य फ्ड्ढ्न छ्व)द्म स्रह्य क्॥द्मद्मश द्गह्यड्ड फ्ड्डफ्द्म ,स्र ह्वठ्ठद्ध] द्धद्दद्गद्मब्; द्बक्रस्नद्मद्भद्मह्यड्ड श श"र्द्मं स्रद्म द्यद्गह्नक्कश्च;] ठ्ठह्यश&द्बभ्द्धह्द्गद्म द्ध[द्मब्द्मस्ह्वद्म] क्द्मस्द्भ फ्ह्न: द्यद्म/द्मद्मद्भ.द्म रुह्द्भ स्रद्म द्गह्वह्न"; द्गद्म= द्दस्ड्ड्न ह्ष् ॥द्मफ्शद्मह्व− ॥द्मद्ध द्बभ्स्रक्वद्धह् ह्र;शरुस्नद्मद्म स्रद्म ,स्र क्ठ्ठक्व'; द्धह्व;द्ग ॥द्मद्भ द्गद्मब्ख्द्ग द्बरु+ह्द्म द्दस्ड्ड्न

छ्व)द्म द्बभ्द्म.द्म द्दस्ड्ड क्द्मस्द्भ रुश:द्ब द्वद्यस्रद्म स्रब्ह्यशद्भ्न छ्व)द्म द्दद्मह्य ह्द्मह्य फ्द्म; क्द्मस्द्भ ष्स्रद्भद्ध द्गह्यड्ड स्रद्मह्यर्ड्ढं क्ह्द्भ ह्वद्दद्धड्ड द्भद्द ह्लद्मह्द्म ्न द्गड्ड= ॥द्मद्ध क्म्द्मद्भद्मह्यड्ड स्रद्म द्यद्गह्नक्कक्कद्म; द्दद्ध द्बभ्ह्द्धह् द्दद्मह्यह्ह्य क्द्मस्द्भ द्वह्वस्रद्म ह्लद्मह्य 'द्मष्टठ्ठद्मस्नर्द्मं द्धह्वस्रब्ह्द्म द्दस्ड्ड द्गद्म= द्वह्ह्वद्म ॥द्मद्भ द्दद्ध द्वद्यस्रद्म द्गद्दक्रश द्बभ्ह्द्धह् द्दद्मह्यह्द्म द्दस्ड्ड्न ह्ष् ;य़द्मद्धंगह्व क्द्मस्द्भ द्बक्रस्नद्मद्भ स्रह्य स्रद्मह्य;ब्ह्य शद्मब्द्ध क्फ्द्धक्चद्ध द्गह्यड्ड स्रद्मह्यर्ड्ढं क्ह्द्भ ह्वद्दद्धड्ड द्भद्द ह्लद्मह्द्म्न /द्मद्मद्धर्द्गंस्र स्रर्द्गंस्रद्म.रुद्मह्यड्ड स्रद्म ॥द्मद्ध 'द्मद्मद्भद्धद्धद्भस्र छ्वद्ग ;द्म द्यद्म/द्मह्व&द्यञ्जह्लद्म स्रह्य क्ह्वह्न:द्ब द्दद्ध द्गख्घ; द्गद्मब्ख्द्ग द्बरु+ह्द्म द्दस््न द्बठ्ठद्मस्नर्द्मं स्रद्मह्य ;द्म द्गद्म;ह्द्म स्रद्मह्य ॥द्मद्मशह्वद्मद्बख्.र्द्मं ष्ह्वद्मह्वह्य क्द्मस्द्भ ठ्ठह्यश द्यद्मद्धह्व/द्म; ह्लस्द्यद्ध द्वद्गड्डफ्ह्य द्वक्चह्द्ध द्दद्ध ह्वद्दद्धड्ड्न ड्ढद्दद्धड्ड द्वद्गड्डफ्द्मह्य स्रद्म ह्वद्मद्ग ॥द्मद्धु ॥द्मद्मशह्वद्म द्दस््न ड्ढद्दद्धड्ड स्रह्य स्रद्मद्भ.द्म ॥द्मु स्रद्म ॥द्मफ्शद्मह्व− द्यह्य ह्द्मठ्ठद्मक्रश्व; द्दद्मह्य ह्लद्मह्द्म द्दस्ड्ड्न द्यद्गर्द्बं.द्म द्गह्यड्डक्द्बह्वद्म क्द्धरुह्क्रश द्दद्ध क्ब्फ् द्यह्य ह्वद्दद्धड्ड ष्श्चह्द्म्न ड्ढ"क ठ्ठह्यश स्रद्ध द्यद्गख्श्चद्ध द्यनद्मद्म द्दद्ध क्द्बह्वह्य टद्बद्भ हृद्म ह्लद्मह्द्ध द्दस्ड्ड्न

,स्रब्ह्र; ह्वह्य ठ्ठभ्द्मह्य.द्मद्मश्चर्द्म; स्रद्ध द्धश्वद्मंक−कद्ध स्रद्ध क्ह्वफ्<+ द्बभ्द्धह्द्गद्म ष्ह्वद्म ब्द्ध स्नद्मद्ध्न द्वद्यद्ध स्रह्य टद्बद्भ द्यद्गख्श्चद्ध छ्व)द्म द्वरु+ह्यब्स्रद्भ शद्द ष्द्म.द्म द्धशस्त्रद्म द्गह्यड्ड द्बद्मद्भड्डफ्ह् द्दद्मह्य फ्;द्म्न द्वद्यह्य द्वह्ह्वद्ध द्यक्तब्ह्द्म द्धद्गब्द्ध द्धह्लह्ह्वद्ध द्धस्र द्यश्चद्गह्नश्च स्रह्य ठ्ठभ्द्मह्य.द्मद्मश्चर्द्म; क्द्बह्वह्य द्बभ्क्र;म्द्म द्ध'द्म"; स्रद्मस्द्भश&द्बद्म.रुशद्मह्यड्ड स्रद्मह्य ॥द्मद्ध द्वद्बब्ष्ट/द्म ह्वद्दद्धड्डड्ड स्रद्भद्म द्यस्रह्य स्नद्मह्य्न

द्गद्धद्भद्म स्रद्म द्धफ्द्भ/द्मद्भ फ्द्मह्यद्बद्मब् ,स्र हृद्मह्यंकद्म&द्यद्म द्बक्रस्नद्मद्भ स्रद्म कह्नस्ररु+द्म स्नद्मद्म] द्बद्भ द्वद्यद्ध द्गह्यड्ड ॥द्मफ्शद्मह्व द्बभ्स्रंक द्दद्मह्यस्रद्भ द्वद्यस्रह्य द्वद्य द्बभ्स्रद्मद्भ क्/द्मद्धह्व द्दद्मह्य फ्;ह्य स्नद्मह्य द्धह्लद्यस्रह्य द्यश्वष्/द्म द्गह्यड्ड शद्द र्फ्शं द्बर्ख्शंस्र स्रद्दह्द्ध स्नद्मद्ध द्धस्र & ट्टद्य[द्मद्धद्भद्ध द्गस्ड्डह्वह्य द्धफ्द्भ/द्मद्भ ब्द्धह्वद्मह्य द्गद्मह्यब्* द्भद्म.द्मद्म ह्वह्य द्धश"द्म स्रद्म ढ्ढ;द्मब्द्म क्द्मस्द्भ द्यर्द्बं द्धद्बंकद्मद्भद्म ॥द्मह्यह्लद्म ह्द्मह्य द्गद्धद्भद्म ह्वह्य द्वद्दह्यड्ड द्यद्द"र्द्मं रुह्रद्मद्धस्रद्मद्भ द्धस्र;द्म] द्बद्भ द्वह्वस्रद्म द्धश"द्म द्धफ्द्भ/द्मद्भ फ्द्मह्यद्बद्मब् स्रह्य 'द्मद्भद्धद्भ द्गह्यड्ड श्चब्द्म फ्;द्म क्द्मस्द्भ द्गद्धद्भद्म द्दँद्यह्द्ध&[द्मह्यब्ह्द्ध द्भद्दद्धड्ड्न

द्भद्मद्गस्रक्व".द्म द्धह्लद्य स्रद्मब्द्ध स्रद्ध द्बख्ह्लद्म स्रद्भह्ह्य स्नद्मह्य] द्वह्वस्रह्य श्चद्गक्रस्रद्मद्भद्मह्यड्ड स्रद्ध स्रद्मह्यर्ड्ढं फ्.द्मह्वद्म ह्वद्दद्धड्ड्न द्धशशह्यस्रद्मह्वठ्ठ स्रद्मह्य द्वद्यद्ध ह्वह्य ठ्ठ'र्द्मंह्व ठ्ठह्यस्रद्भ द्धह्वद्दद्मब् द्धस्र;द्म स्नद्मद्म्न ब्द्मह्यफ्द्मह्यड्ड ह्वह्य स्रद्मब्द्ध स्रद्मह्य द्बद्भद्गद्दड्डद्य स्रह्य द्यद्मस्नद्म ॥द्मद्मह्यफ् ब्फ्द्मह्ह्य ठ्ठह्य[द्मद्म स्नद्मद्म्न ;द्द द्यष् छ्व)द्म स्रह्य श्चद्गक्रस्रद्मद्भ द्दस्ड्ड्न द्वद्यस्रह्य क्॥द्मद्मश द्गह्यड्ड ,स्रब्ह्र;] द्गद्धद्भद्म क्द्मस्द्भ द्बद्भद्गद्दड्डद्य स्रह्य द्दद्मस्नद्म द्गह्यड्ड द्धश्वद्मंक−कद्ध&द्बक्रस्नद्मद्भ स्रह्य क्द्मफ्<+ द्ध[द्मब्द्मस्ह्वह्य द्दद्ध द्यद्मस्नद्म द्भद्द ह्लद्मह्ह्य्न ह्ष् स्रद्मह्यर्ड्ढं ठ्ठह्यशद्मब्;द्मह्यड्ड द्गह्यड्ड ह्व ह्लद्मह्द्म्न द्बक्रस्नद्मद्भ स्रद्ध स्रब्द्मस्रक्वद्धह्;द्मँ ठ्ठह्य[द्मह्वह्य स्रह्य द्धब्, द्धस्रद्यद्ध द्धशयह्यह्द्म द्बह्नद्भद्मह्क्रशशह्यनद्मद्म स्रद्ध ठ्ठह्नस्रद्मह्व द्बद्भ द्य॥द्मद्ध ठ्ठह्यशह्द्मक्द्मह्यड्ड स्रद्मह्य ठ्ठह्य[द्म ब्ह्यह्द्म्न छ्व)द्म द्दद्ध क्/;द्मक्रद्ग स्रद्ध 'द्मद्धु द्दस्] द्धह्लह्वस्रद्म क्॥;द्मद्य ड्ढ"क ठ्ठह्यश स्रद्ध रुस्नद्मद्मद्बह्वद्म] फ्ह्न: स्रद्म शद्भ.द्म ,शड्ड /;द्मह्व&/द्मद्मद्भ.द्मद्म स्रह्य द्यद्दद्मद्भह्य द्धस्र;द्म ह्लद्मह्द्म द्दस््न द्धस्रद्यद्ध द्वक्कश्चरुह्द्भद्ध; 'द्मद्धु स्रह्य द्बभ्द्धह् ;द्धठ्ठ द्यद्म/द्मस्र स्रद्ध द्गद्म;ह्द्म ह्व द्दद्मह्य क्द्मस्द्भ शद्द स्रर्द्गंस्रद्म.रुद्मह्यड्ड स्रद्ध ब्स्रद्धद्भ ॥द्मद्भ द्बद्धंकह्द्म द्भद्दह्यड्ड] ह्द्मह्य स्रठ्ठद्मद्धश्चह्− द्दद्ध स्रद्मह्यर्ड्ढं द्वक्कश्चरुह्द्भद्ध; द्बभ्द्धह्क्तब् द्दद्मस्नद्म ब्फ्ह्यफ्द्म्न

,स्र ह्र;द्धु स्रह्य द्बद्मद्य ,ह्यद्यद्म क्द्गक्वह् ह्लब् स्नद्मद्म द्वद्यस्रद्ध ,स्र ष्ख्ड्डठ्ठ द्यद्म/द्मद्मद्भ.द्म द्बद्मह्वद्ध द्गह्यड्ड द्धद्गब्द्मस्रद्भ द्धद्बब्द्मह्द्म ह्द्मह्य स्रद्धक्चह्व&द्यह्य&स्रद्धक्चह्व द्भद्मह्यफ् क्क्कहृह्य द्दद्मह्य ह्लद्मह्ह्य्न द्वद्यस्रद्ध [;द्मद्धह् ठ्ठख्द्भ&ठ्ठख्द्भ ह्स्र क्तस्ब्द्ध क्द्मस्द्भ द्दह्द्मद्भद्मह्यड्ड ह्र;द्धु द्धह्वक्र; ब्द्म॥द्म द्वक्चद्मह्वह्य स्रह्यद्धब्, क्द्मह्वह्य ब्फ्ह्य्न

द्वद्य ह्र;द्धु स्रह्य फ्ह्न: ह्वह्य क्द्बह्वह्य द्ध'द्म"; स्रद्ध द्बभ्'द्मड्डद्यद्म द्यह्नह्वद्ध ह्द्मह्य ष्द्दह्नह् श्चद्धस्रह् द्दह्न, क्द्मस्द्भ क्द्बह्वद्ध स्रर्ड्ढं ष्द्धद्गद्मद्धद्भ;द्मँ ठ्ठख्द्भ स्रद्भद्मह्वह्य स्रह्य द्धब्, द्वद्य ह्र;द्धु स्रह्य द्बद्मद्य द्बद्दह्नँश्चह्यड्ड द्वद्यह्वह्य क्द्मठ्ठ द्धस्र;द्म क्द्मस्द्भ शद्दद्ध ठ्ठशद्म द्धद्बब्द्म स्रद्भ द्वद्दह्यड्ड ॥द्मद्ध क्क्कहृद्म स्रद्भ द्धठ्ठ;द्म्न फ्ह्न: स्रह्य द्गह्व द्गह्यड्ड ;द्द द्धशश्चद्मद्भ क्द्म;द्म द्धस्र ;द्धठ्ठ ड्ढद्य ठ्ठशद्म स्रद्म ह्वह्नरु[द्मद्म द्गद्मब्ख्द्ग स्रद्भ द्धब्;द्म ह्लद्म; ह्द्मह्य द्दद्गह्यड्ड ॥द्मद्ध ,ह्यद्यद्ध द्दद्ध [;द्मद्धह् द्धद्गब्ह्य्न द्वह्वह्वह्य द्ध'द्म"; द्यह्य ठ्ठशद्म स्रद्म द्भद्दरु; द्बख्हृद्म] ह्द्मह्य द्ध'द्म"; ह्वह्य द्यक्कश्चह्य द्दभ्ठ्ठ; द्यह्य 'द्मद्बस्नद्म द्बर्ख्शंस्र ष्ह्द्म द्धठ्ठ;द्म द्धस्र ;द्द क्द्मद्बस्रह्य श्चद्भ.द्मद्मह्यड्ड स्रद्म /द्मद्मह्य;द्म द्बद्मह्वद्ध द्दस्ड्ड] द्धह्लद्यह्य द्गस्ड्ड द्दद्भ द्यद्मब् क्द्मद्बस्रद्ध द्यह्यशद्म द्गह्यड्ड द्वद्बद्धरुस्नद्मह् द्दद्मह्यस्रद्भ ,स्र ष्रुद्ध ष्द्मह्यह्ब् ॥द्मद्भ ब्द्मह्द्म द्दख् क्द्मस्द्भ द्वद्यद्ध स्रद्ध ,स्र&,स्र ष्ख्ठ्ठ स्रद्भ क्द्यड्ड[;द्मह्यड्ड स्रद्म ॥द्मब्द्म स्रद्भह्द्म द्दख््न

फ्ह्न: स्रद्मह्य क्द्बह्वद्ध स्रद्भद्मद्गद्मह् द्बद्भ ष्रु+द्म र्फ्शं द्दह्नक्द्म्न द्वह्वह्वह्य द्यद्मद्भह्य फ्द्मँश द्गह्यड्ड द्भद्मह्यफ् द्गह्नद्धु स्रद्ध ठ्ठशद्म ह्लद्मह्व ब्ह्यह्वह्य स्रद्ध ?द्मद्मह्य"द्म.द्मद्म स्रद्ध्न द्गद्भद्धह्ल क्द्म;ह्य्न द्वह्वह्वह्य ,स्र ष्रु+द्ध द्बद्भद्मह् द्गह्यड्ड क्द्बह्वह्य श्चद्भ.द्म /द्मद्मह्य;ह्य क्द्मस्द्भ ,स्र&,स्र स्रंकद्मह्यद्भद्म द्यष् स्रद्मह्य द्धद्बब्द्म;द्म] द्बद्भ स्रद्मह्यर्ड्ढं क्क्कहृद्म ह्व द्दह्नक्द्म] ह्द्मह्य द्य॥द्मद्ध द्वह्वद्यह्य ब्रु+ह्वह्य क्द्म;ह्य्न फ्ह्न: द्धक्तद्भ द्ध'द्म"; स्रह्य द्बद्मद्य द्बद्दह्नँश्चह्य क्द्मस्द्भ द्यक्तब्ह्द्म स्रद्म स्रद्मद्भ.द्म द्बख्हृद्म ह्द्मह्य द्वद्यह्वह्य द्यद्ध/द्मद्म&द्यद्मठ्ठद्म द्वनद्मद्भ द्धठ्ठ;द्म द्धस्र द्गह्यद्भह्य श्चद्भ.द्मद्मह्यठ्ठस्र द्गह्यड्ड छ्व)द्म स्रद्म फ्द्दद्भद्म द्बह्नंक क्द्मस्द्भ क्द्मद्बस्रह्य द्बस्द्भ /द्मद्मह्यशह्व द्गह्यड्ड क्द्दड्डस्रद्मद्भ स्रद्ध क्द्ध॥द्मह्र;द्धु द्दस््न ड्ढद्यद्धब्, ठ्ठद्मह्यह्वद्मह्यड्ड ,स्र शरुह्ह्न द्दद्मह्यह्ह्य द्दह्न, ॥द्मद्ध द्वह्वस्रह्य फ्ह्न.द्मद्मह्यड्ड द्गह्यड्ड ह्लद्गद्धह्व&क्द्मद्यद्गद्मह्व ह्लस्द्यद्म क्ह्द्भ द्दद्मह्य फ्;द्म्न द्यद्मद्गर्स्न; ह्लब् द्गह्यड्ड ह्वद्दद्धड्ड] छ्व)द्म द्गह्यड्ड द्यद्गद्मद्धद्दह् द्दस््न

,स्र क्द्मस्द्भ ॥द्मद्ध ,ह्यद्यद्ध द्दद्ध स्रस्नद्मद्म द्दस्ड्ड्न ,स्र द्यड्डह् फ्ड्डफ्द्म ह्क द्बद्भ द्भद्दह्ह्य स्नद्मह्य्न ह्वद्मश ह्व द्दद्मह्यह्वह्य द्बद्भ द्बद्मद्भ ह्लद्मह्वह्य शद्मब्द्मह्यड्ड स्रह्य स्रद्मह्व द्गह्यड्ड द्भद्मद्ग द्गड्ड= ष्ह्द्म ठ्ठह्यह्ह्य क्द्मस्द्भ स्रद्दह्ह्य ड्ढद्य ह्लद्बह्ह्य द्दह्न, द्बद्मद्भ द्धह्वस्रब् ह्लद्मह्वद्म्न ह्लद्मह्वह्य शद्मब्ह्य द्यद्दह्ल द्दद्ध द्बद्मद्भ द्वह्द्भ ह्लद्मह्ह्य्न

स्रह्नहृ ठ्ठख्द्भ ह्स्र ,स्र क्तस्रद्धद्भ द्भद्दह्ह्य स्नद्मह्य शह्य ॥द्मद्ध ,ह्यद्यद्म द्दद्ध श्चद्गक्रस्रद्मद्भ द्धठ्ठ[द्मद्मह्ह्य्न द्वह्द्भह्वह्य शद्मब्द्मह्यड्ड स्रद्मह्य [द्मह्नठ्ठ स्रद्म ह्वद्मद्ग द्धद्य[द्मद्म ठ्ठह्यह्ह्य्न शह्य ॥द्मद्ध द्यष् द्बद्मद्भ द्धह्वस्रब् ह्लद्मह्ह्य्न

,स्र श्चह्ह्नद्भ ह्वह्य ठ्ठद्मह्यह्वद्मह्यड्ड स्रद्म ॥द्मह्यड्डठ्ठ ह्लद्मह्वद्म क्द्मस्द्भ ठ्ठद्मह्यह्वद्मह्यड्ड स्रद्म द्यद्धश्वद्गछ्व.द्म स्रद्भ क्द्मस्द्भ ॥द्मद्ध क्द्ध/द्मस्र क्द्मद्यद्मह्वद्ध द्यह्य द्बद्मब् द्धह्वस्रब्ह्वह्य स्रद्म द्धद्दद्यद्मष् ब्फ्द्म;द्म्न शद्द द्भद्मद्ग&[द्मह्नठ्ठद्म स्रद्दह्द्म द्दह्नक्द्म द्बद्मद्भ ह्लद्मह्वह्य स्रद्म द्बभ्;क्रह्व स्रद्भह्वह्य ब्फ्द्म क्द्मस्द्भ द्ग>/द्मद्मद्भ द्गह्यड्ड रुख्ष् फ्;द्म्न 'द्मद्धु 'द्मष्टठ्ठद्मह्यड्ड द्गह्यड्ड ह्वद्दद्ध] द्वह्वस्रह्य द्यद्मस्नद्म ब्फ्द्ध ॥द्मद्मशह्वद्म 'द्मद्धु द्गह्यड्ड छ्व)द्म स्रह्य द्यश्वद्बह्नंक द्गह्यड्ड द्दद्मह्यह्द्ध द्दस्ड्ड्न ष्द्मंघद्गद्धद्धस्र स्रद्मह्य ह्वद्मद्भठ्ठ ह्वह्य द्भद्मद्ग ह्वद्मह्ल ह्लद्ब स्रद्भह्वह्य स्रह्य द्धब्, स्रद्दद्म स्नद्मद्म्न द्बद्भ शह्य द्वब्कद्म ह्वद्मद्ग वद्गद्भद्म&द्गद्भद्मÞ ह्लद्बह्वह्य ब्फ्ह्य क्द्मस्द्भ द्वद्यद्ध स्रह्य द्बभ्ह्द्मद्ब द्यह्य ट्ठद्ध"द्म द्दद्मह्य फ्;ह्य्न ड्ढद्यद्यह्य द्बभ्स्रंक द्दस् द्धस्र स्रर्द्गंस्रद्म.रुद्मह्यड्ड स्रद्ध द्यद्म/द्मह्वद्म द्धश/द्मद्मह्वद्मह्यड्ड स्रद्ध द्वह्ह्वद्ध द्गद्दनद्मद्म ह्वद्दद्धड्ड] द्धह्लह्ह्वद्ध द्धस्र द्वद्यस्रह्य द्गख्ब् द्गह्यड्ड स्रद्मद्ग स्रद्भह्वह्य शद्मब्द्ध छ्व)द्म ॥द्मद्मशह्वद्म स्रद्ध .... द्धश्चनद्म ष्ह्यफ्द्मद्भ ॥द्मह्नफ्ह्ह्वह्य स्रद्ध ह्द्भद्द] द्धस्रद्यद्ध द्बभ्स्रद्मद्भ द्यड्ड'द्म; द्गह्व द्यह्य द्यद्म/द्मह्वद्म स्रद्ध ब्स्रद्धद्भ द्बद्धंकह्ह्य .... क्द्मस्द्भ ष्ह्द्म;ह्यह्य फ्;ह्य द्गद्मद्दद्मक्रद्ग; स्रह्य क्ह्वह्न:द्ब द्वद्यस्रद्म द्बभ्द्धह्क्तब् ह्वद्दद्धड्ड ठ्ठह्य[द्मह्ह्य ह्द्मह्य द्धह्वद्भद्म'द्म द्दद्मह्य ह्लद्मह्ह्य द्दस्ड्ड क्द्मस्द्भ द्यद्म/द्मह्वद्म&द्धशय़द्मह्व क्स्नद्मशद्म क्द्बह्वद्म;ह्य फ्;ह्य द्धय;द्म&स्रक्वक्र; द्बद्भ क्द्धश'शद्मद्य स्रद्भह्वह्य ब्फ्ह्ह्य द्दस्ड्ड्न

द्यद्म/द्मह्वद्म म्द्मह्य= स्रह्य द्बभ्द्धह् ह्लद्मह्य ह्रद्मरुह्ह्नह्त्न फ्ड्ड॥द्मद्धद्भ द्दद्मह्यड्ड क्द्मस्द्भ द्वद्यस्रद्म श्चद्गक्रस्रद्मद्भद्ध द्बभ्द्धह्क्तब् द्बद्मह्वद्म श्चद्मद्दह्ह्य द्दद्मह्यड्ड] द्वद्दह्यड्ड श्चद्मद्धद्द, द्धस्र क्ह्द्य− द्गह्यड्ड छ्व)द्म स्रद्म ष्द्धह्ल ष्द्मह्य;ह्यह्य] द्धश'शद्मद्य क्द्मस्द्भ द्यड्डस्रंघद्ब स्रद्म [द्मद्मठ्ठ द्बद्मह्वद्ध ब्फ्द्म;ह्यड्ड्न क्तद्यब् द्धह्वद्ध'श्चह् :द्ब द्यह्य ,ह्यद्यद्ध द्वद्बह्लह्यफ्द्ध] द्धह्लद्य द्बद्भ द्यह्द्मह्य"द्म द्दद्ध ह्वद्दद्धड्ड] र्फ्शं ॥द्मद्ध द्धस्र;द्म ह्लद्म द्यस्रह्य्न


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