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Akhand Jyoti
Year 1988
Version 2
मुक्ति-सन्देश (Kavita)
मुक्ति-सन्देश (Kavita)
June 1988
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Page Titles
स्वच्छता एवं सुसंस्कारिता
महायज्ञ
तमाहुरग्रथं पुरुषं महान्तम
प्रभा मण्डल द्वारा पढ़ा जाएगा मनुष्य अब ?
सत्संकल्प की सुखद परिणति
कमजोर मन वाला (Kahani)
अध्यात्म और विज्ञान का मिलन किस स्तर पर हो?
Quotation
पर्यवेक्षण योग की साधना, ध्यान धारणा
Quotation
ईश्वर पासे फेंकने वाला बाजीगर नहीं है
गुरु ने एक गुप्त मंत्र दिया (Kahani)
प्राण ऊर्जा का संवर्धन, चेतना का उदात्तीकरण
कंधे पर धनुष बाण (Kahani)
आचरण शास्त्र का अनुपम ग्रन्थ-गीता
सतयुग का आगमन-कब और कैसे ?
राजा के न्याय (Kahani)
प्रतिकूलताओं की भट्ठी में तप कर निखरता है “व्यक्तित्व”
अपना निर्णय नहीं बदला (Kahani)
गणितीय नियमों से संचालित सृष्टा के क्रियाकलाप!
हिमक्षेत्र की रहस्यमयी दिव्य सम्पदाएँ
अधिकार के साथ कर्त्तव्य भी जुड़ा (Kahani)
भारतीय संस्कृति की गौरव गरिमा
मस्तिष्कीय चेतना के बहुमुखी आयाम
आत्मिक प्रगति का सर्वोपरि आधार श्रद्धा
क्रूरता को जीतिये, स्नेहमय सद्भाव से
तपस्वी की साधना (Kahani)
यदेवेह तदमुत्र यदमुत्र तदन्विह
Quotation
तेजसाँ हि न वयः समीक्ष्यते
वर माँगने के लिए कहा (Kahani)
जन्म मरण का गतिचक्र
संगीत की जीवनदात्री सामर्थ्य
गंगा स्नान का पुण्यफल किसे ?
मनुष्येत्तर प्राणियों के बारे में भी सोचिए
भाग्य बताने पर दैवी रोक (Kahani)
तनाव मिटाइये-शिथिलीकरण द्वारा
अहिंसाधारी संत बन गया (Kahani)
अविज्ञात से डरकर पीछे न हटें वैज्ञानिक
बादशाह का अंगरक्षक (Kahani)
भय- एक काल्पनिक संकट
xxxx अंतिम अभूतपूर्व दीप यज्ञ श्रृंखला जिसने शिक्षित जन मानस को नवनिर्माण का संदेश दिया
अपनों से अपनी बातें आधी जन-शक्ति का पुनरुत्थान
व जागरण के अग्रदूत-दीपयज्ञ
सदाशयता का पक्षधर वातावरण बनाएँ
VigyapanSuchana
मुक्ति-सन्देश (Kavita)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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