शेखसादी नमाज पढ़ने जा रहे थे। गाँव में जूते न होने के कारण उनके पाँव बुरी तरह जल गये थे। तभी उन्हें एक साहूकार दिखाई दिया जिसके पाँवों में चमचमाती जूतियाँ थी। शेखसादी ने कहा-वाह! अल्लाह! तू भी कितना पक्षपाती है, एक को तो चमचमाते जूते और मुझे फटे पुराने भी नहीं।
शेख अभी यही सोच रहे थे कि पीछे खटखट की आवाज सुनाई दी। पीछे मुड़कर देखा तो एक अपंग बैसाखी के सहारे चला आ रहा था। शेख ने अपने को एक तमाचा लगाया और कहा -या परवरदिगार यह क्या कम है कि तूने मुझे पैर तो दिये।