डर वास्तव में (Kahani)

January 1988

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एक दुबला कुत्ता था। तालाब के किनारे खड़ा उसमें अपनी परछाई देख रहा था। प्यासा तो था पर पीने की हिम्मत न पड़ती थी। क्योंकि परछाई वाले कुत्ते का हमला हो जाने का डर था।

बहुत देर हो गयी। प्यास बढ़ने लगी तो उसने हिम्मत की और जो होगा देखा जायेगा, सोचते हुए पानी में घुस पड़ा। जी भर कर पानी पिया साथ ही सामने खड़ा दीखने वाला डरावना कुत्ता भी गायब हो गया।

डर वास्तव में अपनी परछाई है। जब तक उससे घबराते रहते हैं तभी वह हावी रहता है। कदम बढ़ा देने पर फिर ऐसा कुछ नहीं रहता जो पहले लगता था।


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