आनन्द बाँटा जा सकता है, क्योंकि उसे लेने के लिये अनेकों तैयार है। दुःख का वितरण करके अपना बोझ घटाना कठिन है, क्योंकि उसे लेने के लिये कोई तैयार नहीं।