सर्पों से बचने के लिए नेवला पाला (kahani)

November 1985

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एक व्यक्ति ने घर की रक्षा और सर्पों से बचने के लिए नेवला पाला। नेवला बड़ा स्वामिभक्त स्वभाव का था। पति−पत्नी दोनों ही किसी काम से बाहर निकल जाते तो वह पूरी तरह घर की चौकीदारी करता।

एक दिन गृह स्वामिनी कुँए से जल भरने गयी। बच्चे को सोता छोड़ गयी। इतने में एक भयंकर काला नाग निकला, वह बच्चे को डसने ही वाला था, कि नेवले ने उसके टुकड़े−टुकड़े कर दिये। बच्चा यथावत जीवित बना रहा।

गृह स्वामिनी पानी लेकर लौटी, तो उसने घर के द्वार पर बैठे नेवले को देखा कि उसके मुँह से खून लिपटा हुआ है। बात की पूरी जाँच−पड़ताल किये बिना ही यह अनुमान लगा लिया कि इसने मेरे बच्चे को मार डाला। आवेश में उससे इतना भी न बन पड़ा कि वस्तुस्थिति को जाने और जाँचे। उसने जल से भरा घड़ा नेवले के ऊपर पटक दिया। वह तत्काल चूर−चूर हो गया।

घर में घुसकर देखा, बच्चा हंस−खेल रहा था। सर्प मरा पड़ा है। वस्तुस्थिति का अनुमान लगाया, तो उसने अपने आपको बहुत धिक्कारा और आवेश की आतुरता में होने वाले अनर्थ को समझा।

गृहस्थ जीवन में भी ऐसी कई अवसर आते हैं। उस सत्य मन को सन्तुलित बनाए रखना ही सच्ची साधना है।


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