दृश्य के साथ जुड़ा हुआ अदृश्य

November 1985

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प्रकाश विज्ञानी अर्नेस्टले और उनके सहयोगी शिष्य डा. गैवर ने होलोग्राफ के एक नये सिद्धान्त का आविष्कार किया, जिसके आधार पर त्रिआयामित्र (थ्री−डी) स्तर का छाया चित्रण आँखों से देखा जा सकना और भूतकालीन दृश्यों को इन्हीं आँखों से इस प्रकार देखा जा सकना, सम्भव हो सका मानो वह घटनाक्रम अभी−अभी ही बिल्कुल सामने घटित हो रहा हो।

इसी प्रकार तीन दशक पूर्व रूस के इलेक्ट्रानिक विज्ञानवेत्ता ऐमयोन किर्लियान ने एक ऐसी फोटोग्राफी का आविष्कार किया था जो मनुष्य के इर्द−गिर्द होने वाली विद्युतीय हलचलों का भी छायाँकन करती है। इससे प्रतीत होता है कि स्थूल शरीर के साथ−साथ सूक्ष्म शरीर की भी सत्ता विद्यमान है और वह ऐसे पदार्थों से बनी है जो इलेक्ट्रानों से बने ठोस पदार्थ की अपेक्षा भिन्न स्तर की हैं और अधिक गतिशील भी।

पिछले दिनों हुई शोधों से न्यूयार्क विश्वविद्यालय के डा. राबर्ट वेकर इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि ब्रह्माण्ड व्यापी विद्युत चुम्बकीय शक्ति विश्व के प्रत्येक पदार्थ को जड़ चेतन को अपने साथ जकड़े हुए है। विश्व की प्रत्येक इकाई उसी समष्टि की एक घटक है। अस्तु पृथकता के बीच भी सघन एकता विद्यमान है और उस एकता के कारण ही पदार्थों और प्राणियों में दृश्य−अदृश्य आदान−प्रदान होता है। जो क्रम आये दिन अनुभव में आता रहता है वह सामान्य और जो यदा−कदा दिख पड़ता है वह असामान्य चमत्कार कहा जाता है। जबकि वह ऐसा है नहीं।

विज्ञानी ट्रेवर जेम्स का कहना है− ‘‘हमारी आंखें वर्णक्रम की अल्प मात्रा भर देख पाने में ही समर्थ हैं। वे वर्णक्रम के सिर्फ सात रंगों को ही पकड़ पाती हैं, किन्तु इसमें लाल से लेकर बैंगनी तक केवल सात ही रंग नहीं होते, वरन् ऐसे दस अरब रंग होते हैं, जो आँखों को दिखाई नहीं पड़ते। इनकी ‘तरंग लम्बाई’ हमारी आँखों की पकड़ से बाहर होती है।”

“सूक्ष्म जीवाणु एवं विषाणु हम नंगी आँखों से नहीं देख सकते, किन्तु सामान्य एवं इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप के सहारे उन्हें देखा जा सकता है। उसी प्रकार इन्फ्रारेड और अल्ट्रावायलेट फोटोग्राफी की सहायता से एक ऐसे अदृश्य चेतनात्मक जगत में पहुँचा जा सकता है जो देश काल की सीमा से परे है।”

सुप्रसिद्ध विज्ञान कथा लेखक एच. जी. वेल्स ने अपनी पुस्तक ‘दि इन विजिबल मैन’ में उन सम्भावनाओं पर प्रकाश डाला है, जिसके आधार पर कोई दृश्य पदार्थ या प्राणी अदृश्य हो सकता है और अदृश्य वस्तुएँ दृष्टि−गोचर होने लगती हैं। इस विज्ञान को उन्होंने ‘अपवर्तनांक रिफ्लेक्टिव इन्डिसेंस’ नाम देकर उसके स्वरूप एवं क्षेत्र का विस्तृत वर्णन किया है। निश्चित ही एक ऐसे सूक्ष्म जगत का अस्तित्व भी है जो अपने इस ज्ञात जगती की तुलना में न केवल अधिक विस्तृत वरन् अधिक शक्तिशाली भी है। उनकी यह कल्पना उन पौराणिक प्रसंगों को दृष्टि में रखते हुए सही भी लगती है। जिनमें ऋषि गणों, देवताओं के अन्तर्ध्यान होने व प्रकट होने के विवरण मिलते हैं।

एक घटना पेरिस की एक प्राचीन प्रतिमा की है। मूर्धन्य फ्राँसीसी वैज्ञानिक सेलारिया सहित अन्य वैज्ञानिकों का एक दल जब इस प्रतिमा का निरीक्षण कर रहा था, तब देखते ही−देखते प्रतिमा अचानक गायब हो गई और उसके स्थान पर एक−दूसरी विशालकाय मूर्ति आ विराजी जो अत्यन्त डरावनी थी।

सन् 1920 में लन्दन के युवा साँसद पिक्टर ग्रेसर एक दुकान से बाहर निकलते ही सहसा विलुप्त हो गये। इसी प्रकार पोलैण्ड निवासी पादरी वोनेस्की 13 जुलाई 1950 को एक मित्र के पास जाने के लिए अपने घर से निकले। लगभग 80 मीटर दूर जाकर वे भी हवा में विलीन हो गये। ढूँढ़−खोज के बहुतेरे प्रयास किये गये, किन्तु सब निष्फल रहे।

एक सुप्रसिद्ध घटना अमेरिका की है− जिसमें 23 सितम्बर 1908 को टेनेसी, अमरीका निवासी एक किसान डेविड लॉग अपने दो मित्रों के साथ शाम को हवाखोरी करने निकला और मित्रों के देखते−ही−देखते हवा में गायब हो गया। मित्रों ने उस स्थान की काफी छानबीन की, परन्तु कोई ऐसा सूत्र हाथ नहीं लगा जिससे उसके अचानक गायब होने के कारण मालूम हो सके। मित्रों में एक न्यायाधीश भी थे। उनने लॉग को खोजने के लिए भरपूर सरकारी प्रयास किए, किन्तु सफलता नहीं मिली। आखिरकार हार कर उन्होंने अपनी टिप्पणी में लिखा− ‘‘यह एक अविश्वसनीय सत्य है जिसका समाधान खोजने पर भी नहीं मिलता।”

श्री एलन और श्रीमती क्रिस्टीन 1975 की गर्मियों में छुट्टियां मनाने उत्तरी ध्रुव की यात्रा पर निकले। लैपलैण्ड के एक गिरजाघर के पास से गुजरते हुए श्रीमती क्रिस्टीन श्री एलन से कुछ आगे बढ़ गईं। कुछ दूर आगे बढ़ कर उनने पीछे मुड़कर देखा तो उनके पति लापता थे। बहुत खोजबीन की गई, किन्तु उनका कोई सुराग न मिला। स्थानीय लोगों ने भी इस काम में उनका सहायता की पर सब बेकार। यहाँ तक कि जासूसी कुत्तों का भी प्रयोग किया गया, पर कुत्ते उस स्थान पर पहुँच कर रुक जाते और भौंकने लगते। पास ही सेना का कैम्प था। उन लोगों ने भी श्रीमती क्रिस्टीन के प्रति सहानुभूति प्रदर्शित करते हुए उनके पति की खोज में विशेषज्ञों की मदद ली, पर सारे प्रयास विफल रहे।

वस्तुतः अदृश्य जगत अपने इसी दृश्य जगत से जुड़ा हुआ है। मृत्यु के उपरान्त अथवा किसी अदृश्य प्रक्रिया द्वारा भी मनुष्य इसी स्थिति में पहुँच जाता है जो दूसरों को न दिखे। असन्तुष्ट स्थिति में मरने वाले लोग तो आमतौर से प्रेतों के रूप में अपने अस्तित्व का परिचय देते रहते हैं।

काउण्ड इवान सेंटपीटर्स वर्ग में अपनी पत्नी अन्ना, दो बच्चों व बूढ़े नौकर के साथ रहकर वहाँ की जागीरदारी सम्भालता था। तब रूस में साम्यवादी क्रान्ति चल रही थी। इवान और अन्ना देखने में तो बड़े भोले−भाले लगते थे, पर थे बड़े क्रूर। उनने सैकड़ों व्यक्तियों को अपने क्रूर कृत्य का शिकार बनाया। जब करेलिया के लोगों ने उनके विरुद्ध आवाज उठानी शुरू की तब वह डर कर वहाँ से भाग गये और नेवा नदी के तटीय प्रदेश में एक परित्यक्त झोंपड़ी में शरण ली। रात हुई तो पति−पत्नी अपने बच्चों के साथ लेट गये। प्रकाश के लिए कन्दीलें जला लीं, किन्तु हवा के एक झोंके के साथ ही कंदीलें बुझ गई। दुबारा कंदीलें जलाई तो देखा कि लोमड़ियों का एक झुण्ड उन्हें घेरे खड़ा है। वे अत्यन्त भयभीत हो गये, पर तुरन्त ही लोमड़ियाँ न जाने कहाँ लुप्त हो गईं।

इवान का बूढ़ा नौकर भोजन की तलाश में बाहर गया हुआ था। जब वह लौटा तो अपने मालिक व मालकिन को झोंपड़ी में अचेत पड़ा देखा और पास ही खड़ी थी एक भयंकर काली साया। उसने गरज कर कहा− ‘‘मल्लाह! तुम्हें डरने की आवश्यकता नहीं, किन्तु तुम्हारे स्वामी अब बच नहीं सकते। उनने सैकड़ों निरपराधों की जानें ली हैं। उनके पाप का घड़ा अब भर चुका है।” इतना कह कर साया ओझल हो गई। बूढ़ा नौकर भारी अनिष्ट की आशंका से भयभीत हो उठा, किन्तु उसने अपना साहस नहीं खोया और अपने मालिक के होश में आने का इन्तजार करता रहा। इस बीच झोपड़ी में तरह−तरह के जीवों की आवाजें सुनाई पड़ती रहीं। रात के तीसरे पहर के करीब इवान और अन्ना की नींद झोंपड़ी की दीवार गिरने में खुल गई और उसी के साथ प्रकट हुआ खूँखार सील मछलियों का एक झुँड। मछलियों ने उन दोनों पर आक्रमण किया तो वे डर केर भागे नदी की ओर नदी के किनारे पहुँचकर उनने जल्दी−जल्दी तट पर बँधी नौकाएँ खोलीं और उन पर सवार हो नदी पार करने लगे। वे अभी बीच धार में थे कि अचानक न जाने कहाँ से लाल रंग की लोमड़ियाँ आकाश से प्रकट हुईं एवं अन्ना की ओर झपटीं। डर के मारे अन्न नदी में कूद पड़ी जहाँ सील मछलियों ने उसका काम तमाम कर दिया। अभी नाव कुछ ही आगे बढ़ी होगी कि इवान पर भी वैसा ही लोमड़ियों ने आक्रमण किया। इवान का भी वैसा ही अन्त हुआ जैसा अन्ना का। अलबत्ता बूढ़े मल्लाह और बच्चों का इन प्रेतात्माओं ने कुछ नहीं बिगाड़ा। बच्चों को मल्लाह ने ही पाल पोसकर बड़ा किया।

साउथ वेल्स में जेम्स फिशर नामक एक सम्पन्न किसान रहता था। उसके कोई सन्तान नहीं थी। अतः सम्पत्ति के उत्तराधिकारी के रूप में उसने अपने एक मित्र के बेटे जार्ज वारेल को चुना। वारेल उसकी सम्पत्ति जल्दी ही प्राप्त करना चाहता था। अतः एक दिन उसने किसान को खूब शराब मिलाकर उसकी हत्या कर डाली। हत्या इतनी सफाई से की गई थी कि उसका कोई सूत्र पुलिस के हाथ न लगा और न लाश का ही कुछ पता चला।

उक्त किसान का पड़ौसी जेम्स पार्ले एक दिन उसी के मकान के सामने से गुजर रहा था कि उसकी नजर अनायास उस किसान के मकान की ओर चली गई। उसने देखा कि पड़ौसी का भूत अपने मकान की ओर कुछ इशारा कर रहा है। इतना देखना था कि वह चिल्लाते हुए भागा। किन्तु यह आकृति उसे बार−बार दिखाई पड़ती रही और हर बार वह अपने एक कमरे की ओर इंगित करता। पार्ले ने सोचा, अवश्य ही उसकी मृत्यु का रहस्य उस कमरे से जुड़ा हुआ है, अतः उसने इसकी सूचना पुलिस को दी। बाद में जब उस कमरे का फर्श खोदा गया तो उक्त किसान की विकृत लाश मिली। यह ठीक वैसी ही थी जैसी आकृति पार्ले को दिखाई पड़ती थी। लाश के साथ ही अनेकों ऐसे सूत्र हाथ लगे जिसके आधार पर वारेल हत्यारा सिद्ध हुआ और उसे फाँसी की सजा सुनायी गई।

इसी प्रकार की एक घटना एडिनवरा की है। वहाँ के एक मुहल्ले में एक भुतहा मकान था। जो कोई भी उसमें ठहरता उसे एक महिला का प्रेत दिखाई पड़ता और वह डर कर भाग खड़ा होता।

एक बार डिक्सन नामक एक पुलिस इन्सपेक्टर इस मकान में आया। एक रात वे बिस्तर पर जा रही रहे थे कि ठण्डी हवा का एक झोंका आया, जिससे सारी खिड़कियाँ खुल गईं, उन्होंने उठकर पुनः खिड़कियाँ बन्द कीं और बिस्तर की ओर बढ़े, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। दरवाजा खोला तो सामने एक खूबसूरत युवती खड़ी थी। डिक्सन कुछ बोल पाते उससे पहले युवती ने कहा− ‘‘क्या मैं अन्दर आ सकती हूँ?” असमंजस की स्थिति में डिक्सन ने स्वीकृति दे दी। उसने आते ही कहना शुरू किया− ‘‘चूँकि आप पुलिस इन्सपेक्टर हैं अतः आपसे कुछ विनती करने आयी हूँ। मुझे विश्वास है कि मेरे आग्रह को आप ठुकरायेंगे नहीं।” इतना कह कर उसने अपनी कहानी आरम्भ की− ‘‘पन्द्रह वर्ष पहले मैं इसी बंगले में अपने बूढ़े बाप में साथ रहती थी। माँ बचपन में ही मर चुकी थी, अतः पिता ने पाल−पोसकर बड़ा किया। कुछ समय बाद पिता भी चल बसे अस्तु गुजारे के लिए मैंने इस बँगले को आप ही जैसे एक पुलिस अफसर को दे दिया। मैं भी इसी बँगले के एक कमरे में रहती थी। धीरे−धीरे हम दोनों के सम्बन्ध प्रगाढ़ हो गये और पति−पत्नी की तरह रहने लगे। वह अफसर शादी करने के लिए भी राजी हो गया। कुछ समय बाद जब मैं गर्भवती हुई और उससे शादी की बात कही तो उसने साफ इन्कार कर दिया तथा उल्टे मेरी हत्या कर चलता बना। इतना कह कर वह कुछ क्षण के लिए रुकी और फिर कहना शुरू किया− ‘‘आप उस अपराधी को गिरफ्तार कर सजा दिलवाइए, प्रमाण मैं उपलब्ध करा दूँगी। जब तक उसे दण्ड नहीं मिल जाता, मेरी आत्मा इसी प्रकार भटकती रहेगी।” यह कह कर जूरी का प्रेत लुप्त हो गया।

डिक्सन ने जब 15 वर्ष पूर्व की घटना की छानबीन शुरू की तो प्रमाण इस प्रकार एकत्रित होने लगे जैसे कोई प्रत्यक्षदर्शी व्यक्ति इसमें पुलिस की सहायता कर रहा हो। इन्हीं प्रमाणों के आधार पर हत्यारे प्रेमी की तलाश की गई और उसे गिरफ्तार कर दण्ड दिया गया। बाद में जूरी की आत्मा ने डिक्सन को धन्यवाद दिया और ढेर सारे उपहार भी दिये।

ये सभी घटना प्रसंग मात्र अपवाद रूप में घटे संयोग नहीं कहे जा सकते। ये दो तथ्यों का रहस्योद्घाटन करते हैं। एक तो यह कि दृश्य के अतिरिक्त एक अदृश्य परोक्ष जगत का अस्तित्व है। दूसरा यह कि क्रिया की प्रतिक्रिया का शाश्वत सिद्धान्त जीवन क्रम में देखा जा सकता है।


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