एक अजनबी अंग्रेज अस्पताल में अपने मित्र से मिलने जा रहे थे। टैक्सी वाले अजनबीपन का लाभ उठाकर मनमाने दाम माँग रहे थे। एक जापानी सज्जन अपनी कार लेकर उधर से निकल रहे थे। उनने इशारा करके अंग्रेज को अपनी कार में बिठा लिया। अस्पताल का रास्ता मुश्किल से पाँच मिनट का था। उसके दरवाजे पर उनने छोड़ दिया। किराये की बात पूछी तो उनने कहा− ‘‘यह भाईचारे का तकाजा था, यों ही वसूल हो गया। अब लेना-देना कुछ नहीं है।