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November 1985

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दिव्य चेतना के प्रवाह से जन चेतना में अनोखे उभार आते हैं। ऐसे प्रयोग सदैव होते रहे हैं।

रामावतार के चेतना प्रवाह से अनपेक्षित उभार आये। अपराधी प्रवृत्ति के भील आदि परम सज्जन बनकर सहयोग करने लगे। चंचल अप्रामाणिक वानर परम धैर्य तथा निष्ठा के धनी बन गये।

कृष्ण के प्रभाव से भी ऐसा ही हुआ। कंस का भय छोड़कर मथुरावासी गोपों का साथ देने लगे। सामान्य ग्वालों में कंस जैसे आतंकवादी का प्रतिरोध करने की हिम्मत आ गयी। कौरवों के अधिकार और प्रलोभन के बावजूद पाण्डवों को कुचक्र से बचाने वाले उनका साथ देने वाले साहसी बराबर मिलते रहे।

महर्षि रमण- योगी अरविंद जैसों के प्रयोग से राष्ट्रीय चेतना की अनोखी लहर उठी। गांधी जी को सत्याग्रही, सुभाष को आजाद हिंद फौज के सैनिक मिलते चले गये। जिनके राज्य में सूरज नहीं डूबता था उनके आतंक और प्रलोभन सब बेकार सिद्ध हुए। क्रांतिकारी लोकसेवी हर क्षेत्र में पनपते रहे।


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