स्वप्न बहुधा सार्थक भी होते हैं।

November 1985

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आदि कवि बाल्मीकि ने राम अवतार से पूर्व ही उस समूचे कथानक को आद्योपान्त लिखकर रख दिया था। भविष्य पुराण और कल्कि पुराण के सम्बन्ध में भी यही बात है। वे घटनाक्रम से पूर्व ही लिखे गये। यह पूर्वाभास सिद्धि का उच्चस्तरीय स्वरूप है। इसमें घटनाएँ या सम्भावनाएँ प्रधान नहीं होती वरन किन्हीं तथ्यों का उच्च लोकों से मनुष्य पर अवतरण उतरता है। इस प्रयोजन में परिष्कृत ऋतम्भरा प्रज्ञा ही काम आती है। यह प्रयोजन दिव्यदर्शी ऋषियों की ऋतम्भरा प्रज्ञा ही सम्पन्न करती है।

कभी−कभी सामान्य के बीच असामान्य का दर्शन इसी प्रकार सम्भव होता है। पेड़ों में फल नित्य ही गिरते टपकते रहे हैं। इसे सभी लोग सहज स्वभाव से देखते रहते हैं पर न्यूटन की दिव्य दृष्टि ने उसे विशेष दृष्टि से देखा और पृथ्वी में गुरुत्वाकर्षण शक्ति होने का रहस्य ढूँढ़ निकाला।

दिव्य दर्शन की दिवास्वप्न जैसे घटिया शब्द के साथ तो संगति नहीं बैठती, पर है वह भी एक ऐसी ही विशेष स्थिति जिसमें मनुष्य सामान्य बुद्धि से ऊपर उठकर ऋतम्भरा प्रज्ञा का सहारा लेता है। न केवल उच्चस्तरीय सोचता है, पर जैसे ही निष्कर्षों पर पहुँचता है, इतना ही नहीं उस स्थिति में वह अदृश्य लोकों से दिव्य आभास, सन्देश भी उपलब्ध करता है।

वेदों को अपौरुषेय कहा जाता है। उनका अवतरण परमात्मा के अभिवचनों की तरह ऋषियों की पवित्र आत्मा में हुआ था। इस प्रकार वे अपौरुषेय माने गये। कागज, स्याही, कलम, उपयोग से उन्हें लिपिबद्ध तो मनुष्यों ने ही किया होगा। कुरान के संबंध में भी ऐसी ही मान्यता है कि उसकी आयतें इलहाय−ईश्वरीय सन्देश की तरह हजरत पर उतरी थीं। अन्य धर्मों में उनके प्रमुख शास्त्रों के सम्बन्ध में इसी से मिलती−जुलती मान्यताएँ हैं।

अमेरिका का एक नागरिक एलन बेधन ने एक रात स्वप्न देखा कि तत्कालीन राष्ट्रपति राबर्ट कैनेडी एक भीड़ के साथ किसी पार्टी में जा रहे हैं। रास्ते में विरोधी दल का एक सदस्य उन्हें गोली मार देता है और राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाती है।

एलन ने अपना सपना “स्वप्न अनुसन्धान संस्था” के रजिस्टरों में नोट कर दिया और अनुरोध किया कि वे इस सपने की बात राष्ट्रपति तक पहुँचा दें इसके ठीक एक सप्ताह बाद सचमुच यह सपना सत्य हो गया और राष्ट्रपति गोली से मारे गये।

प्रसिद्ध विज्ञानवेत्ता लुई ऐगासिज ने अपनी जीवाश्म सम्बन्धी खोजों की सफलता पर प्रकाश डालते हुए लिखा है कि मुझे स्वप्नों के इशारे से अपनी खोजे आगे बढ़ाने की अक्सर प्रेरणा मिलती रही है।

नोबेल पुरस्कार विजेता डा. पाडलिंग ने भी यह बताया था कि उन्हें अनेक नये वैज्ञानिक विचारों की प्रेरणा सपनों में ही मिली है।

महान गणितज्ञ रामानुजम् ने गणित के गूढ़ मसले सपनों में ही हल किये थे। इलाहाबाद पुल की ठीक−ठीक बनावट एक अंग्रेज इंजीनियर को सपने में ही दिखाई पड़ी थी।

पेनसिलवेनिया विश्वविद्यालय (अमेरिका) के प्राचार्य लेम्बटन एक वैज्ञानिक गुत्थी को सुलझाने में वर्षों से लगे थे। एक रात को उन्होंने स्वप्न देखा कि सामने की बड़ी दीवार पर उनके प्रश्न का उत्तर चमकदार अक्षरों में लिखा है। जागने पर उन्हें अत्यधिक आश्चर्य हुआ कि इतना सही उत्तर किस प्रकार उन्हें स्वप्न में प्राप्त हो गया।

डा. फ्रायड ने अपनी पुस्तक “इंटर प्रिटेशन आफ ड्रीम’’ में एक अनूठी घटना से सम्बन्धित स्वप्न के सम्बन्ध में लिखा कि- मेरे शहर में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति के पुत्र का देहावसान हो गया। रात्रि में अंत्येष्टि सम्भव न होने से प्रातःकाल करने का निर्णय कर शव के चारों ओर मोमबत्ती जलाकर, एक पहरेदार छोड़कर मृतक का पिता अपने कमरे में जा सोया। नींद लगे थोड़ा ही समय हुआ होगा कि स्वप्न में उनका लड़का उनके सामने खड़ा हो कह रहा है कि क्या मेरी लाश यहीं जल जाने दोगे। यह स्वप्न देखते ही उसकी नींद टूटी और उसने झाँककर देखा तो लाश वाले कमरे में प्रकाश हो रहा था। वह पहुँचा तो देखा कि पहरेदार सो गया है और मोमबत्ती गिर जाने से कफ़न में आग लगने से लाश ही क्या यदि विलम्ब हो जाता तो मकान ही जल जाता।

इस स्वप्न से फ्रायड को यह स्वीकार करना पड़ कि स्वप्न जगत को दृश्य जगत एवं स्थूल वासनाजन्य कल्पनाओं तक सीमित करना भूल ही होगी। हाँ अक्षरशः सत्य निकलने वाले सपनों की तह तक हम अवश्य नहीं पहुँच पाते।

विश्व−विख्यात संगीतकार मोजार्ट को एक ललित संगीत धुन एक बग्घी में झपकी लेते समय सूझी। वायलिन वादक तारातिनी को ‘द देविल्स सानेट’ नाम धुन डडडड की पूरी स्वप्न में सुनाई पड़ी। चौपीन भी अपने संगीत सृजन की प्रेरणा सपनों से पाते थे। नृत्य−पारंगता प्रसिद्ध महिला मेरी विगमैन ने “पास्तोरेल” नामक एक डडडड की कल्पना स्वप्न−दृश्य के आधार पर ही। हेनरी डडडड पाब्लो पिकासो, एण्ड्रयू वेथ, वान गाँग, साल्वाडोर डडडड आदि शीर्षस्थ चित्रकारों की सृजन चेतना में स्वप्नों डडडड बड़ा हाथ रहा है। साहित्यकारों का तो कहना ही क्या? पुश्किन, टालस्टाय, गेटे, शेक्सपीयर, बाण भट्ट, रवीन्द्रनाथ टैगोर, होमर, कालरिन, एडगर एलन पो, डडडड दान्ते, वैगनर, विलियम ब्लेक, विलियम बटलर, डडडड क्यूबिन आदि असंख्य साहित्यकारों को विभिन्न डडडड की प्रेरणाएं, संकेत सन्देश तथा परामर्श स्वप्नों के माध्यम से ही मिली थीं। हेनरी फार डेस कार्टिसडन पाइ डडडड यर जैसे गणितज्ञों का स्वप्नों से मार्ग निर्देशन पाने डडडड घटनायें सर्व विदित हैं।

भगवान महावीर के जन्म से पूर्व रानी तिशला ने 14 मार्मिक स्वप्न देखे थे। प्रथम में हाथी, द्वितीय में बैल, तृतीय में सिंह, चतुर्थ में लक्ष्मी, पंचम में सुवासित पुष्पों की माला, षष्ठम् में पूर्ण चन्द्र, सप्तम में सूर्य दर्शन, अष्टम में मंगल कलश, नवम् में नीले स्वच्छ जल वाला सरोवर, दशम लहलहाता सागर’ एकादश सिंहासन, द्वादश देव विमान, त्रयोदश रत्नराशि और चतुर्दश तेजस्वी अग्नि।

स्वप्न का फलितार्थ मर्मज्ञों ने इस प्रकार किया− हाथी सहायक साथी धैर्य−मर्यादा और बड़प्पन का प्रतीक है। उसके पेट में प्रविष्ट होने का तात्पर्य प्रलम्ब बाहु पुत्र जन्म का द्योतक है। वह महान धर्मात्मा, अनन्त शक्ति का स्वामी, मोक्ष प्राप्त करने वाला, यशस्वी, अनासक्त, ज्ञानी, सुख−शान्ति का उपदेश, महान गुणों वाला, शान्त और गम्भीर, त्रिकालज्ञ, देवात्मा और महान् होगा। भगवान महावीर का जीवन इस स्वप्न का पर्याय था। इसमें सन्देह नहीं। उपरोक्त सभी प्रतीकों का अर्थ मर्मज्ञों ने उन−उन वस्तुओं के गुण प्रभाव आदि की दृष्टि से निकाला जो उपयुक्त ही सिद्ध हुआ।

बाणभट्ट की प्रसिद्ध पुस्तक कादम्बरी की रूपरेखा उन्हें स्वप्न में ही मिली। रवीन्द्रनाथ टैगोर को अपनी गीताञ्जलि पुस्तक की कई कविताओं का आभास स्वप्न में मिला था। होमर, कालरिन, एडगर एलन पो आदि ने अर्ध चेतन स्थिति में− स्वप्न लोक में विचरण कर, उन्हीं प्रेरणाओं के आधार पर अनेक रचनाओं का सृजन किया। नीत्से, दान्ते, वैगनर, विलियम ब्लेक, विलियम बटलर, कीट्स, क्यूविन आदि को विभिन्न कृतियों की प्रेरणाएं स्वप्नों से मिली थीं।

अमेरिका के प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. आट्टो लोबी यह जानने का प्रयास कर रहे थे कि भ्रूणावस्था में शारीरिक तन्तुओं की क्रियाविधि कैसी होती है? उनकी धारणा थी कि यह उत्तेजना स्नायुओं में होने वाले रासायनिक परिवर्तनों के कारण होती है। लेकिन इसकी परीक्षा कि प्रकार की जाय? इसी उधेड़ बुन में उनके सत्रह वर्ष गुजर गये है वे प्रयोग पर प्रयोग किये ही जा रहे थे। परन्तु यह धारणा प्रयोगों द्वारा प्रामाणित नहीं हो पा रही थी।

सन् 1920 की ईस्टर मई की पूर्व सन्ध्या को उन्होंने एक स्वप्न देखा जो विचित्र था और उनके ही प्रयोगों से सम्बन्धित था। नींद खुलने पर स्वप्न याद आया तो स्वप्न में देखे सभी तथ्यों को नोट कर लिया। गहराई से उन तथ्यों का विश्लेषण करने पर उन्हें ज्ञात हुआ कि वे सभी बातें उनके ही प्रयोगों से सम्बन्धित हैं। परन्तु जल्दी−जल्दी में नोट करने पर बहुत से तथ्यों को नोट करना भूल गये थे। स्वप्न की बातों को सोचते−सोचते दोपहर का भोजन कर वे पुनः सो गये तो दुबारा वही स्वप्न देखा। अब की बार उन्हें वह सपना हूबहू याद रहा। जगने पर उसे अक्षरशः नोट कर लिया। प्रयोगशाला में जाकर स्वप्न के आधार पर प्रयोग करना आरम्भ किया। यह प्रयोग एक मेंढक पर किया गया और प्रथम प्रयास में ही उनकी धारणा सत्य सिद्ध हुई। फिर तो उन्होंने इस प्रयोग को कई बार दोहराया और हर बार उनकी धारणा पुष्ट होती चली गई। इस प्रयोग से चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में एक ऐसा नया अध्याय जुड़ा जिसने हृदय रोगियों उपचार की एक नयी दिशा ही खोल दी। इस खोज लिए उन्हें सन् 1936 में जीव विज्ञान का नोबुल पुरस्कार भी मिला।

पर जिन्हें एकाग्रता का अभ्यास है, जो मानसिक सन्तुलन ठीक बनाये रहे हैं उन शान्त चित्त व्यक्तियों और अविज्ञात चेतना द्वारा सार्थक स्वप्न भी प्रेरित किये जाते रहते हैं और वे उनके भविष्य निर्माण में बड़े सहायक भी होते हैं।

आवश्यक नहीं कि सब हर किसी को दिखने वाले अगणित स्वप्नों में से सभी को वे सार्थक रूप में ही दिखते हैं। अचेतन की कामनाएँ, भूतकाल की स्मृतियाँ, शरीरगत व्यथाएँ, उद्विग्नताएँ आकाँक्षाएँ आदि मनोवृत्ति मिलकर स्वप्नों की सम्भावना किया करती हैं और वे कौतुक कौतूहल मात्र होती हैं।

कुछ विचारकों ने अपने अनुभवों में लिखा है कि उनकी जागृत अवस्था में न सूझने वाले उदात्त तथा प्रगल्भ विचार स्वप्नावस्था में उनके मन को सूझ पड़े और उनको मालूम हुआ कि मानो उनके मन ने अति सुन्दर यथा योग्य भाषा में सब विचार उनके सम्मुख रख दिये हैं। कुछ वैज्ञानिक कहते हैं कि प्रकृति के अत्यन्त गहन रहस्य का पता उन्हें स्वप्नावस्था के मन के व्यापार से लगा। इनके मतों को झुठलाया नहीं जा सकता।


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