बम्बई हाईकोर्ट के जज रानाडे उन दिनों काँग्रेस के नेता थे। उन्हें बंगला सीखनी थी। कोई पढ़ाने वाला नहीं रहा था।
जो नाई उनकी हजामत बनाने आता था वह बँगला जानता था। रानाडे ने उसी से पढ़ना आरम्भ कर दिया।
इस पर उनकी पत्नी ने कहा− नाई से न पढ़ें। कोई सुनेगा तो आपके सम्मान को धक्का लगेगा।
रानाडे हँसते हुये बोले, दत्तात्रेय ने तो 24 गुरु बनाये थे। उनमें कीड़े−मकोड़े और पशु पक्षी तक थे। फिर हमें नाई को गुरु बनाने में क्यों आपत्ति होनी चाहिए। ज्ञान जहाँ से मिले ग्रहण किया जाना चाहिए।