कमाया तो जेब काटकर भी जा सकता है और, अनैतिक तरीके अपनाकर भी, किन्तु अनीति का उपार्जन, भले ही श्रम से ही क्यों न किया गया हो, कभी भी स्वीकारा नहीं जा सकता।
एक लड़का अपने पिता की आज्ञा पर चलता था। उसे सिखाया गया था कि परिश्रम की कमाई खानी चाहिए। लड़का एक दिन चोरों के गिरोह के साथ हो लिया और किसी के घर में सेंध लगाकर अपने हिस्से के 100 रुपये घर ले आया। बाप ने एक दिन में इतने रुपये कमाने की बात आश्चर्य से पूछी−लड़के ने कहा− यह परिश्रम की कमाई है और सारा विवरण बता दिया।
बाप ने कहा− ध्यान रखो कमाई मात्र परिश्रम की ही नहीं ईमानदारी की भी होनी चाहिए।