फिल्म का प्रभाव इन दिनों साहित्य से भी अधिक बढ़ चला है। युग परिवर्तन प्रयोजन हेतु साहित्य की ही तरह अब फिल्म निर्माण की भी बात सोची गयी है। चिन्तन तो काफी पूर्व से चल रहा था लेकिन उतने महँगे साधन न जुट पाने से उस आवश्यकता को पूरी करने का सुयोग नहीं बन पा रहा था।
इस बार इस इच्छा की पूर्ति का एक सुयोग अनायास बन गया। इन्सेट उपग्रह की सफलता व इलेक्ट्रानिक्स उपकरणों पर ड्यूटी घटने से टेलीविजन अब सर्वसुलभ हो गए हैं। उन पर अब वीडियो रंगीन एवं बोलती फिल्में दिखाया जा सकना कहीं भी सम्भव हो जायेगा। फिल्म निर्माण का कार्य इस प्रकार वीडियो के माध्यम से कहीं अधिक सरल हो चला। नव निर्माण की फिल्में बनाने और उन्हें घर-घर, गाँव-गाँव लगे टेलीविजनों पर विशेष अटेचमैन्ट के माध्यम से दिखाने की सुविधा सम्भव हो गयी। पूँजी भी इसमें अधिक नहीं लगती।
अब युग निर्माण की विचारधारा को व्यापक बनाने वाली फिल्में बनाने और उन्हें देश के कोने-कोने में विदेश की समस्त शाखाओं में दिखाने का कार्य हाथ में ले लिया गया है। शान्तिकुंज में इसके लिए सुनियोजित स्टूडियो बनाया गया है, कलामंच बन रहा है एवं सभी अनिवार्य यन्त्र उपकरण खरीद लिए गए हैं।
इसका उत्साहवर्धक नए किन्तु अत्यन्त शक्तिशाली माध्यम का शुभारम्भ उद्घाटन इसी बसन्त पर्व पर होने जा रहा है। पहली फिल्म समर्थ स्वाध्याय मण्डलों पर बनेगी। उनके संचालक फिल्म के पात्र होंगे और बताया जाएगा कि वे किस प्रकार अपने यहाँ इस स्थापना में सफल हो सके। परिस्थितियाँ प्रतिकूल होने पर भी वे किस प्रकार अपने मुट्ठी भर साथियों की सहायता से चल प्रज्ञा संस्थान खड़ा कर सके। इस फिल्म का उद्देश्य सर्वत्र यह उत्साह उभारना है कि अन्यत्र भी इसका अनुकरण चल पड़े और 24000 समर्थ स्वाध्याय मण्डल प्रज्ञासंस्थानों का संकल्प पूरा करने के लिए सभी वरिष्ठ प्रज्ञापरिजनों में उत्साह उभरे।
वसन्त पंचमी 7 फरवरी की है। शान्ति कुंज में बसन्त पर्व पर परिजनों की संख्या एक तो वैसे ही अधिक रहती है इस बार फिल्म स्टूडियो का उद्घाटन समारोह सम्मेलन होने से आदमियों की संख्या और भी अधिक रहने की सम्भावना को दृष्टिगत रखते हुए उद्घाटन समारोह के दो चरणों में सम्पन्न करने की व्यवस्था की गई है- (1) 4 से 8 फरवरी (2) 10 से 14 फरवरी।
परिजन दो में से किसी एक में सम्मिलित होने की बात ध्यान में रखते हुए शान्तिकुंज से पत्र व्यवहार करके अपने पहुँचने की सूचना दें।
उद्घाटन समारोह में मात्र समर्थ स्वाध्याय मण्डलों के संस्थापक संचालकों को बुलाया गया है। उनका कार्य विवरण ही फिल्माया जायेगा। निर्माण कार्य में ऐसी तत्परता रखी गई है कि उसे हाथों हाथ दिखाया जा सके। सभी आगन्तुकों को ये फिल्म दिखायी जाएँगी।
स्वाध्याय मण्डलों के नाम से संकल्प तो कितनों ने ही लिए लेकिन उनकी लकीर पूजा ज्यों की त्यों करने के प्रयास जिनने किए हैं, उन्हें सामान्य कहा गया है। समर्थ स्वाध्याय मण्डल वे हैं जिन्होंने ज्ञान रथ बनाए, चलाए तथा स्लाइड प्रोजेक्टर दिखाने, जन्म दिन मनाने जैसे प्रज्ञाचक्र घुमाने से संबंधित कार्यक्रम पूरे उत्साह के साथ चलाए हैं। इन लोगों ने स्मारिका प्रकाशन व पूँजी जुटाने का कार्य भी बिना किसी कठिनाई के कर लिया है। गर्मी के दिनों में प्रायः सभी समर्थ मण्डल अपने यहाँ प्रज्ञायोजन सम्पन्न करने की व्यवस्था भी बना रहे हैं ताकि उस क्षेत्र में जन-जागरण का उमंग भरा वातावरण बने और जन समर्थन जन सहयोग में कमी न पड़े। नव सृजन की अन्यान्य गतिविधियों को अगले दिनों इसी उत्साह के आधार पर सम्पन्न किया जा सकेगा।
वीडियो फिल्म स्टूडियो अपना बन जाने का समाचार समूचे प्रज्ञा परिवार में उत्साहपूर्वक सुना जाएगा। उद्घाटन समारोह में मात्र समर्थ स्वाध्याय मण्डल संचालकों को ही आमंत्रित किया गया है। उनकी उपस्थिति प्रथम फिल्म निर्माण हेतु आवश्यक समझी गई है। जो यह स्थापना कर चुके या करने जा रहे हैं, वे अपने पहुँचने की सूचना अविलम्ब शांतिकुंज भिजवा दें। स्त्री बच्चों के साथ न लाएँ। भीड़ अधिक होगी और स्थान कम पड़ेगा। यह प्रतिबंध इसी कारण लगाया गया है।