एक व्यक्ति था जो बहुत देवताओं को पूजता और बहुत गुरु बनाकर, किसी न किसी से कुछ पाने की फिराक में रहता।
वह एक गुरु के पास बैठा था। इतने में एक अन्य भक्त आया और बताया उसने अपने खेत में चार दस-दस हाथ गहरे गड्ढे खोदे। किसी में भी पानी न निकला। “पाँचवाँ गड्ढा खोदने जा रहा हूँ। बताइये पानी निकलेगा या नहीं।”
पहले से बैठा चतुर व्यक्ति गुरु को उत्तर देने तक न ठहर सका। आवेश में बोला- “इतने गड्ढे खोदने के स्थान पर यदि एक ही स्थान पर पचास हाथ गहरा गड्ढा खोदते तो इतनी जमीन भी खराब न होती और पानी भी मिल जाता।”
बात समझदारी की थी सो उसने मान ली। नया कुँआ खोदने के स्थान पर पिछले गड्ढे को ही गहरा करने की बात समझ में आई और सिखावन को क्रियान्वित करने के लिए वापस लौट गया। अब गुरु ने उस चतुर व्यक्ति से कहा- “तुम भी बहुत देवता और गुरुओं को तलाश न करके यदि एक पर ही श्रद्धा जमा लेते तो अच्छा होता।”