राजा जनक को उस समय के बड़े ब्रह्मज्ञानी रैक्य का पता चला। उनकी तलाश में सब ओर दूर दौड़ाये गये। बहुत दौड़ धूप करने पर भी कुछ पता न चला तो वे निराश वापस लौट आये।
राजा ने सब दूतों से यात्रा व खोज के समाचार पूछे। वे सभी बड़े नगरों में घूमते और ढूँढ़ते फिरे थे। जनक हँसे और बोले- “ब्रह्मवेत्ता छोटे देहातों या वन प्रदेशों में रहते हैं। बड़े नगरों में विलासी संग्रही रहते हैं।” दूत दुबारा गये और एक छोटे देहात में रैक्य को ढूँढ़ निकाला।