Quotation

August 1984

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वाक् शक्ति ऊर्जा का अपरिमित स्रोत है। व्यक्तित्व के परिष्कार एवं नवयुग की ढलाई हेतु अगले दिनों गायत्री महाशक्ति के इस सूक्ष्मी कृत रूप को ही ईंधन रूप में प्रयुक्त किया जाना है। यज्ञ का दर्शन एवं सूक्ष्मीकृत रूप भी यही दर्शाता है कि पदार्थ की कारण शक्ति के उभार हेतु दोनों का युग्म देव-संस्कृति के विकास की दिशा में अभूतपूर्व भूमिका निभाता रहा है, आगे भी उसे ही निभाना है।


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