निर्धन होना दुर्भाग्य है, पर सबसे अभागे वे हैं जो कृपणता से ग्रस्त हैं। संकीर्णता का अभिशाप साधनों का सदुपयोग नहीं करने देता और वैभव को संकट और पतन का कारण बना देता है।