आइन्स्टीन एक दृष्टा ऋषि थे जिन्होंने “ग्राण्ड यूनिफिकेशन आफ फोर्सेस (समस्त जड़-चेतन सत्ताओं के एकीकरण की परिकल्पना आज से लगभग पचास वर्ष पूर्व करती थी। सूक्ष्मीकरण के संदर्भ में वह अविज्ञात भौतिकीय आयाम कौन-सा है एवं व्यष्टि-समष्टि का एकीकरण सम्भव है तो कैसे, इसे विज्ञान की भाषा में समझें।
ईसा की विदाई का अन्तिम दिन था। उस रात उनने अपने प्रमुख शिष्यों को बुलाया और सभी के पैर धोये।
शिष्यों ने इस पर आश्चर्य किया तो वे बोले- “जो तुम्हें पूजे उनके प्रति तुम भी पूज्य भाव रखना। क्योंकि वे ही तुम्हें श्रेय प्रदान करते हैं। ऐसा न हो कि सम्मान पाकर इतराओ और अहंकार दबाव से अपनी श्रद्धा गँवा बैठो।”