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August 1984

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आत्मा अनादि है, शाश्वत है, अनन्त है। उसे कोई नष्ट नहीं कर सकता। काय-कलेवर की समाप्ति ही मृत्यु नहीं है। मरणोत्तर जीवन के प्रसंग एवं जीवनमुक्त शरीर धारियों के सूक्ष्मीकरण के घटनाक्रम इनकी साक्षी देते हैं। सूक्ष्म लोक है एवं उसका अस्तित्व पूर्णतः तर्क सम्मत है, गुह्य विद्या के विशारदों का ऐसा अभिमत है।


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